
गीता कर्तव्य परायण बनती है = पंडित संजय कृष्ण शास्त्री
बेमेतरा =भवानी वाटिका में आयोजित भागवत कथा के माध्यम से आज श्रीमद् भगवत गीता पर सारगर्भित व्याख्यान माला में आचार्य संजय कृष्ण शास्त्री ने कहा गीता ग्रंथ साक्षात भगवान श्री कृष्ण की वाणी है । उपनिषदों का सार है।
*गीता केवल मृत्यु शय्या के लिए नहीं अपितु जीवन काल में श्रवण अध्ययन कर व्यवहार में आत्मसाध तथा मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। गीता केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं अपितु सामाजिक आध्यात्मिक सांस्कृतिक राजनीतिक तथा वैज्ञानिक विश्व स्तर पर इसकी उपयोगिता हर युग में रहेगा। इसलिए आज की आवश्यकता है। वर्तमान शिक्षा पद्धति में नीति अध्यात्म तथा राष्ट्रभक्ति की भावना बड़े इसका अभाव है। गीता, रामायण, पुराण, महाभारत , जैसे आदर्श ग्रंथो की बातों को बच्चों में सुसंस्कृत सुबुद्ध स्वालंबी तथा सनातन संस्कृति के आस्थावान बनाने तथा संस्कृत प्रधान समाज के निर्माण के लिए शिक्षा पद्धति में स्थान देना आवश्यक है ।ध्यान देने की बात है विदेश में भी आज रामायण ,गीता तथा वेद मंत्रों का गुन्जायमान हो रहा है। आचार्य श्री ने कहा भारतीय संस्कृति तथा राष्ट्र के उत्कर्ष हेतु स्वलम्ब भारत में देव लोक की वाणी संस्कृत भाषा की उपेक्षा के कारण युवा पीढ़ी को हिंदू धर्म ग्रंथो के विषय में ज्ञान नहीं है। विचारों में बुद्धि तथा सात्विक सदाचार संयम ज्ञानवान युवा पीढ़ी का निर्माण कैसे होगा गीता कब कहां कैसे प्रकट हुआ रस विस्तार पूर्वक विवेचन करते हुए बताया पांडव सत्य, धर्म, न्याय ,नीति के मार्ग में चलते थे ।दुर्योधन अधर्म , अन्याय, अनीति, दुराचार के मार्ग में चलते थे ।
ध्यान देना है की भगवान सत्य ,धर्म न्याय ,नीति के मार्ग पर चलने वालों के साथ खड़े रहते हैं ।जहां धर्म है वही ईश्वर की कृपा होती है । और उन्हीं को विजय श्री की प्राप्ति होती है। गीता के द्वारा ही बोध होता है स्वधर्म का पालन करते हुए सन्मार्ग में चलकर सत्कर्म करने से ही आत्म कल्याण संभव है। कर्तव्याभिमान से रहित होकर अनासम्मत भाव से फल की आकांक्षा त्याग कर सर्वहित की भावना से यज्ञ पूजा ध्यान भक्ति यज्ञ करने से भगवान प्रसन्न होते हैं गीता में 18 अध्याय 700 श्लोक है अंत में महायज्ञ की पूर्णाहुति हुई विष्णु सहस्त्रनाम पाठ के द्वारा सहस्त्र तुलसी पत्र समर्पित किया गया ।
*कपिलातर्पण सहस्त्र धारा स्नान से सभी श्रद्धालु भक्तजन पुण्य लाभ प्राप्त किए इस अवसर पर नगर एवं विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधि श्रद्धालु भक्तजन बड़ी संख्या में उपस्थित थे अंत में कथा ज्ञान यज्ञ के आयोजक शास्त्री परिवार की ओर से आचार्य पंडित प्रमोद शास्त्री ने आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया।