Dev Uthani Ekadashi 2021: आज देवउठनी एकादशी के दिन भूलकर भी न करें ये काम, नोट कर लें व्रत नियम

शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। इसे प्रबोधिनी या देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जानते हैं। देवउठनी एकादशी के दिन से ही चतुर्मास समाप्त हो रहे हैं और शुभ व मांगलिक कार्य शुरू होंगे। शास्त्रों के अनुसार, देवउठनी एकादशी के दिन ही सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु चार महीने बाद योग निद्रा से जागते हैं। इस दिन भगवान शालीग्राम और माता तुलसी का विवाह कराया जाता है। इस साल पंचांग में भेद होने के कारण देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह 14 और 15 नवंबर दोनों दिन मनाई जा सकेगी।

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, एकादशी तिथि 15 नवंबर को भी पहुंच रही है। ऐसे में तुलसी विवाह 15 नवंबर को भी कराया जा सकेगा। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। ऐसे में इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। देवउठनी एकादशी के दिन कुछ नियमों का पालन करना भी अनिवार्य होता है। मान्यता है कि ऐसा न करने पर व्यक्ति पाप का भागीदार बनता है। जानिए देवउठनी एकादशी के दिन क्या करें और क्या नहीं-

1. तुलसी के पत्ते न तोड़े- देवउठनी एकादशी के दिन प्रभु शालीग्राम और माता तुलसी का विवाह कराया जाता है। ऐसे में इस दिन भूलकर भी तुलसी के पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिए।

2. तामसिक चीजों का सेवन न करें- एकादशी के दिन सात्विक भोजन करना चाहिए। अगर आप व्रत नहीं रख रहे हैं तो इस दिन साधारण भोजन करना चाहिए। इस दिन मांस-मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।

3. चावल का सेवन न करें- एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि चावल का सेवन करने से व्यक्ति अगले जन्म में रेंगने वाले जीव की योनि पाता है।

4. वाद-विवाद से बचें– एकादशी तिथि के दिन वाद-विवाद से बचना चाहिए। इस दिन लड़ाई-झगड़ा करने से मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं।

देवउठनी एकादशी के दिन करें ये काम-

1. एकादशी के दिन दान करना उत्तम माना जाता है।
2. एकादशी के दिन संभव हो तो गंगा स्नान करना चाहिए।
3. विवाह संबंधी बाधाओं को दूर करने के लिए एकादशी के दिन केसर, केला या हल्दी का दान करना चाहिए।
4. एकादशी का उपवास रखने से धन, मान-सम्मान और संतान सुख के साथ मनोवांछित फल की प्राप्ति होने की मान्यता है।
5. कहा जाता है कि एकादशी का व्रत रखने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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