Doctor’s Day: मिलिए छत्तीसगढ़ की उस डॉक्टर से जिनकी फोटो पूजा घर में रखते हैं मरीज

रायपुर. डॉक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है. ऐसी ही एक डॉक्टर हैं रागिनी पाण्डे, जिनकी फोटो उनके मरीजों के घरवाले अपने पूजा घर में रखने के लिए ले जाते हैं. डॉक्टर रागिनी ने दिल की ऐसी गंभीर बीमारी के भी सफल ऑपरेशन  किए हैं, जो दुनिया में केवल 10 बच्चों को हैं. ऐसे भी बच्चों की बीमारी का ऑपरेशन किया जो करोड़ों में एक को होता है. छत्तीसगढ़ के नया रायपुर में स्थित श्री सत्य साईं संजीवनी अस्पताल ना केवल छत्तीसगढ़ में बल्कि पूरे एशिया का एक मात्र ऐसा हृदय का अस्पताल है, जहां कोई फीस काउंटर नहीं है. जहां शून्य से 18 साल तक के बच्चों के दिल का इलाज और ऑपरेशन एकदम मुफ्त में किया जाता है.

हृदय रोगों से ग्रस्त दुनिया भर के हजारों गंभीर बच्चों के ऑपरेशन इस अस्पताल में मुफ्त हुए हैं. इस अस्पताल की सीनियर पीडियाट्रिक कॉर्डियक सर्जन हैं डॉ. रागिनी पाण्डे. डॉ. पाण्डे जिनसे यहां अपने बच्चों का इलाज कराकर लौट रहे पालक उनकी तस्वीर इसलिए मांगते हैं कि वो उसे पूजा घर में रख सकें. रागिनी जो पहले विदेश में कॉर्डियक सर्जन थीं, उनके पिता भगवती पाण्डे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे. रागिनी कहती हैं कि मैं तब भावुक हो जाती हूं, जब मरीज कहते हैं कि आप अपनी फोटो दे दीजिए, हम अपने पूजा घर में रखेंगे.

रायपुर. डॉक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है. ऐसी ही एक डॉक्टर हैं रागिनी पाण्डे, जिनकी फोटो उनके मरीजों के घरवाले अपने पूजा घर में रखने के लिए ले जाते हैं. डॉक्टर रागिनी ने दिल की ऐसी गंभीर बीमारी के भी सफल ऑपरेशन  किए हैं, जो दुनिया में केवल 10 बच्चों को हैं. ऐसे भी बच्चों की बीमारी का ऑपरेशन किया जो करोड़ों में एक को होता है. छत्तीसगढ़ के नया रायपुर में स्थित श्री सत्य साईं संजीवनी अस्पताल ना केवल छत्तीसगढ़ में बल्कि पूरे एशिया का एक मात्र ऐसा हृदय का अस्पताल है, जहां कोई फीस काउंटर नहीं है. जहां शून्य से 18 साल तक के बच्चों के दिल का इलाज और ऑपरेशन एकदम मुफ्त में किया जाता है.

हृदय रोगों से ग्रस्त दुनिया भर के हजारों गंभीर बच्चों के ऑपरेशन इस अस्पताल में मुफ्त हुए हैं. इस अस्पताल की सीनियर पीडियाट्रिक कॉर्डियक सर्जन हैं डॉ. रागिनी पाण्डे. डॉ. पाण्डे जिनसे यहां अपने बच्चों का इलाज कराकर लौट रहे पालक उनकी तस्वीर इसलिए मांगते हैं कि वो उसे पूजा घर में रख सकें. रागिनी जो पहले विदेश में कॉर्डियक सर्जन थीं, उनके पिता भगवती पाण्डे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे. रागिनी कहती हैं कि मैं तब भावुक हो जाती हूं, जब मरीज कहते हैं कि आप अपनी फोटो दे दीजिए, हम अपने पूजा घर में रखेंगे.

भारत के बच्चों का क्या?
डॉ. रागिनी बताती हैं कि डॉक्टर बनने के बाद काम करने के लिए जब वह पहली बार यूके जा रही थीं, तो उनके पिता ने कहा कि यूके के बच्चों को तो और भी सर्जन मिल जाएंगे, वहां उनके लिए बहुत से सर्जन हैं लेकिन मेरे भारत के बच्चों का क्या? रागिनी जब भी छुट्टियों में भारत आती. पिता यही सवाल करते. जब उनके पिता का निधन हुआ तो रागिनी ने तय किया कि अब वो अपना सारा जीवन भारत के बच्चों के लिए समर्पित कर देंगी. एक बेटी ने अपने पिता को श्रद्धांजलि स्वरूप अपना पूरा जीवन गरीब और जरूरतमंद बच्चों के लिए समर्पित कर दिया. वो यूके से आ गईं नया रायपुर के श्री सत्य साईं संजीवनी अस्पताल.

जारी रखा बच्चों का ऑपरेशन
रागिनी बताती हैं कि कोरोना की जब पहली लहर आई आई तो दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में अन्य बीमारियों के इलाज और ऑपरेशन बंद थे. तब भी उन्होंने बच्चों के ऑपरेशन जारी रखे. रागिनी का कहना है कि कोरोना के दौरान जब तमाम अस्पताल बंद हो गए थे तब ऑपरेशन के अभाव में दो महीनों में 43 बच्चों की मौत हो गई थी. तब मैंने निर्णय लिया कि अब और नहीं. इसके बाद इसी कोरोना काल में इसके बाद 1075 दिल के ऑपरेशन किए. वहीं 551 केथेड्रल प्रोसीजर किए. कोविड के दौरान बहुत सी दिक्कतें आई. मास्क से लेकर उपकरण, दवाई, ऑक्सीजन कुछ नहीं मिल रहा था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. उनका कहना है कि जब भी आप कुछ अच्छा करना चाहते हैं तो पूरी दुनिया आपके साथ खड़ी होती है.

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