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सर्दी में चुनावी गर्मी: फ्लैक्स व पोस्टर वार ने बदला रेलवे में माहौल
चुनावी माहौल में ओल्ड पेंशन योजना प्रमुख मुद्दा बनकर उभरा है। चार से छह दिसंबर तक होने वाले इस चुनाव में ओल्ड पेंशन योजना (ओपीएस) सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा है। सभी यूनियन संघ इसे केंद्र में रखकर प्रचार कर रहे हैं। रेलवे कर्मचारी ओपीएस को बहाल करने की मांग कर रहे हैं। जो सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है।
बिलासपुर। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के यूनियन चुनाव को लेकर माहौल गर्मा गया है। 11 साल बाद हो रहे इस चुनाव ने राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है। अब पोस्टर व फ्लैक्स वार सुर्खियों में है। रेलवे कालोनी, चौक-चौराहे और जोनल स्टेशन प्रचार सामग्री से पट गए हैं। बड़े-बड़े पोस्टर और फ्लैक्स हर जगह नजर आ रहे हैं। जहां सभी छह संगठनों ने अपनी-अपनी ताकत झोंक दी है।
वर्तमान में लागू नई पेंशन योजना (यूपीएस) की जगह पुरानी पेंशन योजना को वापस लाने के वादे पर सभी यूनियन वोट मांग रही हैं। पिछला यूनियन चुनाव 2013 में हुआ था। जिसमें मजदूर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी और तब से वह सत्ता में है। इस बार श्रमिक यूनियन, स्वतंत्र बहुजन समाज रेलवे कर्मचारी, मजदूर संघ, मजदूर यूनियन और अखंड रेलवे संगठन भी मैदान में हैं। 40 हजार से अधिक मतदाता अपने वोट से नई यूनियन को चुनेंगे।
इसमें कर्मचारियों को 10 प्रतिशत अंशदान देना होता है। सरकार अपनी ओर से 14 प्रतिशत राशि मिलाती है। सेवानिवृत्त होने पर इसी राशि से पेंशन बनती है, जो ओल्ड पेंशन की तुलना में कम रहती है। इसी कारण से इसका विरोध हुआ और चुनाव में मुद्दा भी बना।
पोस्टर और फ्लैक्स की होड़
यूनियन चुनाव में प्रचार-प्रसार का तरीका पूरी तरह बदल गया है। हर संगठन अपनी ताकत दिखाने के लिए बड़े-बड़े पोस्टर और फ्लैक्स का सहारा ले रहा है। रेलवे कालोनी से लेकर सार्वजनिक स्थानों तक पोस्टरों की भरमार है। चौक-चौराहों पर संगठनों के दावे और वादों को रंगीन फ्लैक्स में प्रदर्शित किया जा रहा है।
33 प्रतियशत वोट पर टिकी मान्यता
यूनियन को मान्यता प्राप्त करने के लिए कुल वोटों का 33 प्रतिशत हासिल करना अनिवार्य है। मान्यता प्राप्त संगठन को सरकार से सीधे बातचीत करने और कर्मचारियों की मांगों को उठाने का अधिकार मिलेगा। यही कारण है कि सभी छह संगठन अपनी ओर अधिक से अधिक वोट आकर्षित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
प्रचार में जोश और प्रतिस्पर्धा चरम पर
रेलवे यूनियन चुनाव में पोस्टर वार ने प्रचार को नई ऊंचाई दी है। हर संगठन की कोशिश है कि वे मतदाताओं तक अपनी बात पहुंचा सकें। अब देखना होगा कि यह पोस्टर वॉर किस संगठन के लिए जीत का सेहरा लेकर आता है और कौन पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के वादे पर खरा उतरता है।