विडंबना की बात है कि तीनों वन विभाग की यूनिट है और किसी बेजुबान जानवर की मौत पर बेवजह एक- दूसरे की सीमा बताकर मामले को खींचते रहे। जबकि यह टाइगर रिजर्व का इको सेंसटीव क्षेत्र और मुंगेली वन मंडल की सीमा से महज 30 मीटर पर यह घटना हुई है। आखिर में बिलासपुर वनमंडल को मामले में कार्रवाई करनी पड़ी।
बिलासपुर। इस घटना में सीमा क्षेत्र को लेकर अफसरों के बीच खूब माथापच्ची हुई। अचानकमार टाइगर रिजर्व प्रबंधन कहना था कि यह उनका एरिया नहीं है। यही जवाब मुंगेली वन मंडल से भी आया। बाद में बिलासपुर वनमंडल में सीमा क्षेत्र न होने की बात कहकर कार्रवाई से हाथ खींचने का प्रयास करता है।
वन विभाग की सुरक्षा पर उठा सवाल
इस मामले में वन विभाग के तीनों यूनिट की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा हुआ है। हाथी के बच्चे की तीन से चार दिन पहले करंट से मौत हो गई और उसका मृत शरीर पड़ा रहा। लेकिन, किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी। इससे साफ जाहिर होता है कि विभाग का मैदानी अमला या अधिकारी केवल चेंबर पर बैठकर जंगल की निगरानी कर रहे हैं। हकीकत में जंगल के अंदर नहीं जाते।
सालभर में हाथी के मौत की दूसरी घटना
सालभर में हाथी के मौत की यह दूसरी घटना है। पिछले साल मुंगेली वन मंडल के खुड़िया रेंज अंतर्गत बिजराकछार में भी इस तरह करंट की चपेट में आने से एक हाथी की मौत हो गई थी। उस समय भी हाथी दल में थे और एक अलग हो गया था। लगातार हो रही इस तरह की घटना से यह स्पष्ट है कि जंगल के अंदर व इससे लगे गांव में शिकारी सक्रिय है और करंट का जाल बिछाकर वन्य प्राणियों को मौत के घाट उतार रहे हैं।
राजस्व भूमि पर कब्जा कर करते थे खेती
वन विभाग ने मामले में जिस ग्रामीण को गिरफ्तार किया है, वह अपने खेत से लगी राजस्व भूमि में कब्जा कर खेती कर रहा था। अपने खेत पर उसने मोटर पंप लगाया है। आशंका है कि करंट का तार यहीं से खींचा गया होगा। हालांकि घटना के बाद तार व खूंटे दोनों हटा लिए गए। विभााग की निष्क्रिता की वजह से आरोपित पिता व पुत्र को करंट के तार व अन्य समान हटाने का पर्याप्त समय मिल गया।
एटीआर में विचरण कर रहा था पांच हाथियों का दल
यह वहीं हाथी, जो सालभर से अचानकमार टाइगर रिजर्व के अंदर विचरण कर रहा था। टाइगर रिजर्व प्रबंधन को यह मालूम है और उनके द्वारा लगातार वाच भी कराने की बात कही जा रही है। डिप्टी डायरेक्टर गणेश यूआर का कहना है कि हमारी टीम लगातार हाथियों पर नजर रखी हुई थी। 30 अक्टूबर को हाथियों का दल वन विकास निगम के क्षेत्र में चला गया और दूसरे दिन 31 अक्टूबर को एटीआर लौट आया। एक नवंबर यानी शुक्रवार काे निगरानी दल ने पांच हाथियों में से एक को कम पाया। दल के सदस्यों ने पांच हाथियों को ढूंढना शुरू किया, तब मृत हाथी नजर आया। जिसकी सूचना तत्काल दी गई।