संस्था-प्रतिष्ठानों एवं दुकानों द्वारा 14 वर्ष से कम आयु के बालकों को उपजीविका के काम पर रखना गैरकानूनी होगा

14 से 18 वर्ष के बालकों को खतरनाक उपजीविका काम में रखने की भी नहीं होगी अनुमति,
उल्लंघन करने वाले संस्थानों पर जुर्माना तथा कारावास का होगा प्रावधान

दिलीप कुमार वैष्णव@ आपकी आवाज
कोरबा छत्तीसगढ़ – किसी भी नियोजक, प्रोपराईटर, संस्थान, प्रतिष्ठान, व्यावसायिक दुकान, निजी अस्पताल, टाॅकिज, होटल-रेस्टोरेंट, माॅल, समाचार पत्र संस्थान, निजी शैक्षणिक एवं कोचिंग संस्थान, ट्रांसपोर्ट उपक्रम, निजी सुरक्षा एवं प्लेसमेंट एजेंसी-ठेकेदार, रियल इस्टेट एवं कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा 14 वर्ष से कम उम्र के बालकों को अपने संस्थान में उपजीविका के काम पर लगाना गैरकानूनी होगा। बालक और किशोर श्रम अधिनियम 1986 के तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बालकों को किसी भी संस्थानों को उपजीविका या किसी भी प्रक्रिया में काम कराने अथवा कार्य पर रखे जाने की अनुमति नहीं होगी। 14 से 18 वर्ष के आयु के बालकों को भी खतरनाक उपजीविका या किसी प्रक्रिया में काम पर रखने की अनुमति नहीं होगी। संस्थानों द्वारा शासन के बाल श्रम नियमों के उल्लंघन करते पाए जाने पर संस्थान संचालक पर जुर्माना तथा कारावास का भी प्रावधान रखा गया है। बालक एवं कुमार श्रम अधिनियम 1986 के कानूनों के उल्लंघन की स्थिति में बालक श्रम योजकों को छह माह से दो वर्ष तक का कारावास का प्रावधान रखा गया है। श्रम अधिनियम के तहत बाल श्रम कानून के नियमों की उल्लंघन की स्थिति में नियोजकों को 20 हजार से 50 हजार तक का जुर्माना या जुर्माना और कारावास दोनों प्रकार की सजा का प्रावधान है।
सहायक श्रम आयुक्त कोरबा ने बताया कि बाल और किशोर श्रम अधिनियम के तहत संस्थानों एवं प्रतिष्ठानों को बाल श्रम कानून का उल्लंघन नहीं किए जाने वाली सूचना का प्रदर्शन संस्थान के दृष्टिगोचर स्थल पर किया जाना अनिवार्य है। उक्त सूचना का प्रदर्शन नहीं करने वाले संस्थान के नियोजकों को अधिनियम के अंतर्गत एक माह तक का कारावास या दस हजार रूपए जुर्माने अथवा दोनों से दण्डित किए जाने का प्रावधान है। अधिनियम के तहत बाल श्रम निषेध सूचना का प्रदर्शन अपने संस्थान के मुख्य द्वार के दृष्टिगोचर स्थल पर लोगों के सुगम दृष्टि आकार में अनिवार्यतः प्रदर्शित करने का प्रावधान है।

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