रायगढ़ : मिली जानकारी के अनुसार नगर निगम के द्वारा प्रदेश सरकार को रामलीला मैदान के सौंदरीकरण के लिए 44 लख रुपए का बजट भेजा गया था जिसमें राज्य प्रशासन के द्वारा रामलीला मैदान के सुंदरीकरण के लिए 25 लाख रुपए की राशि स्वीकृत की गई थी जिसमें रामलीला मैदान का जीणोधार होना था
लेकिन नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी एवं कर्मचारी ठेकेदार के साथ मिलकर राज्य सरकार के द्वारा आए पैसे का बंदर बाट करने में कहीं पीछे नहीं हो रहे हैं जानकारी मिल रही है कि रामलीला मैदान में एक कमरा चेंजिंग रूम और लैट्रिंग बाथरुम बनाना था लेकिन विडंबना यह भी है कि वह कार्य आज दिनांक तक आधा अधूरा पड़ा हुआ है सेड डालकर छोड़ दिया गया है वही रामलीला मैदान में मिट्टी डालने का कार्य भी किया जाना था मिट्टी डालने का कार्य भी देर से प्रारंभ हुआ औऱ मौसम को नजवार गुजरा बारिश का भेट चढ़ गया वही रामलीला मैदान में मिट्टी के परिवहन में लगे गाड़ियों के आने जाने से औऱ नई मिट्टी डालने के कारण रामलीला मैदान में चारो तरफ कीचड़ हो गया है
चुकी रामलीला मैदान में चक्रधर समारोह की तैयारी चल रही है और किचड़ की तरफ लोगो का ध्यान न जाए आनंद फानन में बजरी डालने का कार्य किया गया जिसके स्थानीय रामलीला मैदान में खेलने वाले खिलाड़ी एवं लोगों के द्वारा विरोध किए जाने पर बजरी डालने का कार्य बंद हो गया अब नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारियों एवं कर्मचारियों के द्रारा से कहा जा रहा है कि चक्रधर समारोह के खत्म होने के बाद रामलीला मैदान का दोबारा सुंदरी कारण का कार्य किया जाएगा
लेकिन कुछ अनसुलझे सवाल खड़ा होता : नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारियों के इस रवैया से कई ऐसे सवाल खड़े होते हैं क्या टेंडर में समय काम का कार्य करने और खत्म करने का समय सीमा नहीं दिया गया था? अगर दिया गया तो ठेकेदार पर दबाव क्यों नहीं बनाया गया? रामलीला में चेंजिंग रूम और लैट्रिन बाथरूम बनना था वह आज तक अधूरा क्यों है,? क्या कार्य प्रारंभ कराने से पहले नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी को बारिश का ध्यान नहीं था? ठेकेदार के लापरवाह पूर्ण कार्य के लिए जिम्मेदार कौन:? क्या ठेकेदार ने समय सीमा का ध्यान नहीं दिया था तों जिम्मेदार अधिकारी ने उन पर क्या कार्रवाई की हालांकि जो हुआ सो हुआ चक्रधर समारोह के खत्म होने के बाद शहर के बीचो बीच एक मात्र खेलने का जगह रामलीला मैदान जो एक ऐतिहासिक जगह के नाम से भी विख्यात है उसका सौंदरीकरण होना ही चाहिए कहीं ऐसा ना हो कि स्वीकृति राशि का बंदर बाट ना हो जाए