झारखंड शराब घोटाला: छत्तीसगढ़ EOW ने जांच तेज की, IAS विनय चौबे समेत कई अधिकारी रडार पर

शिकायत के बाद जांच में आई तेजी
रांची के अरगोड़ा थाना क्षेत्र के निवासी विकास सिंह ने इस घोटाले की शिकायत दर्ज कराई थी। उनके अनुसार, झारखंड और छत्तीसगढ़ के अधिकारियों के एक सिंडिकेट ने मिलकर झारखंड की आबकारी नीति में बदलाव किया, जिससे राज्य सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ।

कैसे हुआ घोटाला?
● 2019 से 2022 के बीच सरकारी शराब दुकानों से नकली होलोग्राम लगाकर शराब बेची गई।
● इस अवैध धंधे में झारखंड और छत्तीसगढ़ के अधिकारियों की मिलीभगत सामने आई।
● छत्तीसगढ़ मॉडल लागू करने के दौरान झारखंड में एक ब्लैकलिस्टेड कंपनी को ठेका दिया गया, जिसने नकली होलोग्राम सप्लाई किए।

EOW और ED की जांच में क्या सामने आया?
● झारखंड की आबकारी नीति में दिसंबर 2022 में बदलाव किया गया, जिसकी बैठक रायपुर में कारोबारी अनवर ढेबर के ठिकाने पर हुई थी।
● इस बैठक में छत्तीसगढ़ के पूर्व अधिकारी एपी त्रिपाठी, अनिल टुटेजा, अरविंद सिंह समेत झारखंड के उत्पाद अधिकारी भी शामिल थे।
● घोटाले में शामिल सुमीत कंपनी को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से यह बदलाव किया गया था।

छत्तीसगढ़ मॉडल पर हुई थी शराब बिक्री
मई 2022 से झारखंड में छत्तीसगढ़ मॉडल के तहत शराब बिक्री हो रही थी। इसमें छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कारपोरेशन लिमिटेड के तत्कालीन प्रबंध निदेशक एपी त्रिपाठी को सलाहकार बनाया गया था।

तीन प्रमुख कंपनियां संदेह के घेरे में

  1. प्रिज्म होलोग्राम एंड फिल्म सिक्योरिटी लिमिटेड – शराब की बोतलों पर होलोग्राम लगाने का ठेका मिला।
  2. मेसर्स सुमित फैसिलिटीज लिमिटेड – मैनपावर सप्लाई का कार्य सौंपा गया।
  3. एक अन्य कंपनी – जिसका नाम अभी उजागर नहीं किया गया, लेकिन यह छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में पहले से आरोपित है।

क्या होगा आगे?
छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने झारखंड सरकार से IAS विनय चौबे और उत्पाद विभाग के अधिकारी गजेंद्र सिंह के खिलाफ जांच की अनुमति मांगी है। वहीं, प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी इस मामले में वित्तीय लेन-देन की कड़ियां खंगाल रहा है।

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