
रायगढ़। जिले में करीब दो दशक पहले प्रस्तावित जेएसडब्ल्यू एनर्जी का पावर प्लांट प्रोजेक्ट एक बार फिर सुर्खियों में है। रायगढ़ तहसील के पांच गांव — कुकुर्दा, नवापारा, डूमरपाली, छुहीपाली और साल्हेओना — में इस प्रोजेक्ट के लिए 2009 में टीओआर जारी किया गया था और करीब 321 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण भी हो चुका है। हालांकि कंपनी ने अब तक जमीन का पजेशन नहीं लिया, जिसके कारण परियोजना ठंडे बस्ते में चली गई थी।
जानकारी के अनुसार, वर्ष 2005 से 2010 के बीच राज्य सरकार ने कई उद्योगों के साथ एमओयू साइन किए थे। ज्यादातर उद्योग स्थापित हो गए, पर कुछ योजनाएं अधूरी रह गईं, जिनमें जेएसडब्ल्यू का यह प्रोजेक्ट भी शामिल है। करीब 7300 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली इस परियोजना की कीमत अब बढ़कर लगभग दोगुनी आंकी जा रही है।
अब चर्चा है कि जेएसडब्ल्यू ने इस प्रोजेक्ट से अपना हाथ खींच लिया है और कोई दूसरी कंपनी इसे टेकओवर कर सकती है। गांवों में गुपचुप रूप से सर्वे की गतिविधियां देखी जा रही हैं।
इस बीच, ग्रामीणों में नाराजगी भी बढ़ रही है, क्योंकि 2013 के बाद नए भू-अर्जन कानून के लागू होने से मुआवजा दरें चार गुना तक बढ़ गई हैं। जबकि पहले अधिग्रहण के समय किसानों को बहुत कम राशि दी गई थी। किसान अब अपनी भूमि वापस पाने या उचित मुआवजा मांगने की तैयारी में हैं।
उद्योग विभाग की ओर से अभी तक इस भूमि को न तो लैंड बैंक में शामिल किया गया है और न ही कंपनी पर प्लांट शुरू करने का दबाव बनाया गया है। ऐसे में 15 साल पुराने इस प्रोजेक्ट के भविष्य को लेकर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं।
 
					












