नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार शनिवार को सुबह 11:45 बजे दिल्ली के निगमबोध घाट पर राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। गुरुवार रात को दिल्ली के एम्स में 92 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। उनके निधन की खबर से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई।
डॉ. मनमोहन सिंह के पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटकर कांग्रेस मुख्यालय में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया, जहां हजारों लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उनके अंतिम दर्शन के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, राजनीतिक सहयोगी, और आम जनता का जनसैलाब उमड़ पड़ा।
देश के पहले सिख प्रधानमंत्री
डॉ. मनमोहन सिंह भारत के 13वें प्रधानमंत्री थे और इस प्रतिष्ठित पद को संभालने वाले पहले सिख नेता थे। उन्होंने मई 2004 से मई 2014 तक केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार का कुशलता से नेतृत्व किया। उनके कार्यकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय प्रगति हुई, और वे देश के सबसे सम्मानित अर्थशास्त्रियों में से एक रहे।
एम्स में हुआ निधन
बृहस्पतिवार रात को डॉ. सिंह को नई दिल्ली के एम्स में मेडिकल इमरजेंसी के तहत भर्ती कराया गया। अस्पताल के बयान के अनुसार, डॉक्टरों ने उन्हें बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया, लेकिन रात 9:51 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। उनके निधन से भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में एक युग का अंत हो गया।
सार्वजनिक जीवन से संन्यास
2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद डॉ. मनमोहन सिंह ने सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली। हालांकि, उन्होंने राज्यसभा के सदस्य के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभाई और अगस्त 2023 में राज्यसभा में अपनी आखिरी उपस्थिति दर्ज कराई।
राष्ट्र की श्रद्धांजलि
डॉ. सिंह के निधन पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, और अन्य प्रमुख नेताओं ने गहरा शोक व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि डॉ. सिंह का योगदान देश के लिए सदैव याद रखा जाएगा।
डॉ. मनमोहन सिंह एक सादगीपूर्ण और विचारशील नेता के रूप में जाने जाते थे। उनकी नीतियों और नेतृत्व ने देश को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में मदद की। उनके निधन से देश ने न केवल एक अद्वितीय नेता बल्कि एक सच्चे देशभक्त को खो दिया है।
शनिवार को होने वाले उनके अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में गणमान्य व्यक्तियों और आम जनता के शामिल होने की संभावना है। उनकी स्मृति हमेशा भारतीय इतिहास के पन्नों में अमर रहेगी।