लैलूंगा विधानसभा में वाहरी नेताओं का कांग्रेस प्रवेश दिलाना कही भारी ना पड़ जाए

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*लैलूंगा विधानसभा में वाहरी नेताओं का कांग्रेस प्रवेश दिलाना कही भारी ना पड़ जाए*
लैलूंगा= विधान सभा को प्रदेश उद्योगिक विधान के रूप में जाना जाता है। लैलूंगा विधान सभा पूरी तरह से अदीवासी विधान सभा है यहां आरंभ में रायगढ़ राजघराना का वर्चस्व रहा है।फिर तमनार की किसान परिवार के प्रेम सिंह सिदार ने यह अपनी मजबूत पकड़ बनाई।राज परिवार के सुरेंद्र सिंह और प्रेम सिंह सिदार ही इस विधान सभा से रिपीट होने का सौभाग्य प्राप्त कर चुके है।2003 के बाद आज तक इस विधान सभा से कोई भी पार्टी का विधायक रिपीट नही हो पाया है।इस विधान सभा की जनता ने इस विधान सभा से अब तक सबसे ज्यादा बार पूर्व छ ज का नेता और भूतपुर्व कांग्रेस विधायक हृदय राम राठिया को सबसे ज्यादा बार नकारा है। मध्य प्रदेश के समय स्व प्रेम सिंह सिदार के हाथो इन्हे पहली बार शिकस्त मिली।हमारे प्रदेश के प्रथम त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में इन्हे पनतराम भगत के हाथो जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में भी करारी शिकस्त मिली।इसके बाद इन्होंने ने 2008के चुनावो में पूर्व मंत्री सत्यानंद राठिया को। हारकर कर विधायक बनने का सोभगाय मिला।अपने विशेष अंदाज के प्रचलित हृदय राम राठिया को लोकसभा का टिकट मिला और उन्हें विष्णु देव शाय के हाथो हार झेलना पड़ा। 2013 में उन्हें सुनीति सत्यानंद राठिया से भी विधान सभा में हार का सामना करना पड़ा। समय के परिवर्तन की वजह से ये अजीत जोगी द्वारा बनाई गई पार्टी में शामिल हुवे और उन्हें 2018का चुनाव में चक्रधर सिंह सिदार के हाथो भी करारी शिकस्त झेलना पड़ा बड़ी मुस्किल से अभी वर्तमान में इनका कांग्रेस पार्टी में प्रवेश हुआ है।जिससे कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं में एक असंतोष सा छा गया है।ये कांग्रेस में शामिल होते ही कांग्रेस की जड़ों को काटना आरंभ कर चुके है अगर समय रहते कांग्रेस के आलाकमान इनके मंसूबों को समझ कर इनका इलाज नहीं करते है तो पूरे देश की तरह हमारे प्रदेश में भी कांग्रेस की स्थिति बद से बद्तर होने से कोई रोक नहीं सकता।

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