
जुझारू संघर्षशील किसान नेता ने एनटीपीसी के विस्तार की जनसुनवाई निरस्त करने की मांग,
मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर दी बिंदूवार जानकारी,
20 फरवरी को होने वाली जनसुनवाई निरस्त कर पहले की जाए जांच,
एनटीपीसी ने स्थानीय प्रभावितों को सिर्फ ठगने का किया है काम,
रायगढ़। किसान और संघर्षशील नेता लल्लूसिंह ने एनटीपीसी लारा के द्वितीय चरण (2×800) मेगावाट के लिए 20 फरवरी 2023 को प्रस्तावित जन सुनवाई रद्द करने की मांग की गई है। एनटीपीसी लारा के द्वितीय चरण की जनसुनवाई नियम विपरीत होने का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है। किसान नेता लल्लू सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा है की एनटीपीसी के द्वारा नौकरी और विस्थापन के नाम पर प्रभावितों को सिर्फ ठगने का काम किया है।
संघर्षशील किसान नेता लालू सिंह ने कहा की एनटीपीसी के द्वारा छत्तीसगढ़ शासन की नीति का पालन नही किया जा रहा है। ऐसे में विस्तारित किये जाने के लिये जनसुनवाई करवाया जाना गलत है। उन्होंने बिंदुवार मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौप कर कारवाई और 20 फरवरी को होने वाली जनसुनवाई को निरस्त करने की मांग की गई है।
लल्लू सिंह ने कहा है कि एनटीपीसी लारा परियोजना के लिए छ.ग. शासन द्वारा छ.ग. आदर्श पुनर्वास नीति 2007 के पालन की शर्त पर निजी जमीन के अधिग्रहण की सैद्धान्तिक सहमति प्रदान की गई है। एनटीपीसी लारा परियोजना को सीएसआईडीसी के माध्यम से लैण्ड बैंक योजना के तहत अधिग्रहण कर जमीन उपलब्ध कराया गया है जिस पर छ.ग. शासन की पुनर्वास नीति लागू है। एनटीपीसी द्वारा राज्य निवेश प्रोत्साहन बोर्ड रायपुर के समक्ष(5×800 मेवा) 4000 मेगावाट के लिये लगभग 1600 पदों का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है जिसमे लगभग 1064 पद गैर कार्यपालिक है। इस प्रकार 800 मेगावाट के 1 यूनिट के लिए लगभग 213 गैर कार्यपालिक पद एवं 2 यूनिट के लिए कुल 425 गैर कार्यपालिक पद प्रस्तावित है जबकि वर्तमान में एनटीपीसी लारा में 1600 मेगावाट में मात्र 55 नॉन एग्जीक्यूटिव कर्मचारी कार्यरत हैं जिसकी जानकारी एनटीपीसी ने स्वंय सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत प्रदान की है।
इस मामले में कलेक्टर रायगढ़ द्वारा अनेकों बार बैठक और पत्र के माध्यम से एनटीपीसी के उच्च अधिकारियों को भू-विस्थापितों के शैक्षणिक योग्यतानुसार नवीन पद सृजित कर स्थाई नौकरी प्रदान करने निर्देशित किया गया है फिर भी एनटीपीसी के अधिकारियों ने छत्तीसगढ़ शासन के नियमों को दरकिनार कर रखा है । एनटीपीसी-लारा योजना के लिये जमीन अधिग्रहण 2012 में हो चुकी है और इन बीते वर्षो में भी छत्तीसगढ़ की पुनर्वास का पालन नही हुआ जो कि घोर निंदनीय है जिसकी समीक्षा अति आवश्यक है। जुझारू संघर्षशील किसान नेता लालू सिंह ने मुख्यमंत्री से मांग किया है कि समस्त तथ्यों का उल्लेख सभी शासकीय दस्तावेजों में होने के बावजूद एनटीपीसी के अधिकारी अपनी स्वयंभू सरकार चलाते हुए छ.ग. शासन के नियम-शर्तों के विपरीत तथा प्रशासनिक अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना करते हुए भू-विस्थापितों को मिलने वाले लाभ से वंचित कर प्रताड़ित कर रहे हैं। ऐसी परिस्थितियों में एनटीपीसी के विस्तार हेतु जनसुनवाई कराया जाना भू-विस्थापितों के साथ अन्याय होगा। इसलिए 20 फरवरी 2023 को प्रस्तावित जनसुनवाई रद्द किया जाना भू विस्थापित परिवारों और शासन की गाइड लाइन के अनुसार न्यायोचित होगा।

