
कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन एक बार फिर दुनिया में तबाही मचा रहा है, तेजी से बढ़ते आंकड़े एक बार फिर लोगों को डराने लगे हैं। देश में बीते एक हफ्ते में कोरोना के मामलों में 6.3 गुना से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। कोरोना पॉजिटिविटी रेट 29 दिसंबर 2021 को 0.79 फीसदी से बढ़कर 5 जनवरी को 6.3% हो गई है। देश में ओमिक्रॉन 24 राज्यों सहित केंद्र शासित प्रदेशों में फैल चुका है, जहां 2 हजार से ज्यादा ओमिक्रॉन मरीज हैं। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी ओमिक्रॉन ने दस्तक दे दी है। एमपी में ये आंक़ड़ा 11 तक पहुंच चुका है, तो वहीं अब बिलासपुर में भी इसकी एंट्री हो गई।
दोनों राज्यों में तेजी से बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए शासन-प्रशासन ने नई चुनौती से निपटने हर स्तर पर तैयारी शुरू कर दी गई है। छत्तीसगढ़ सरकार ने उन जिलों में रात नाइट कर्फ्यू लगाने का ऐलान कर दिया है, जहां संक्रमण दर 4 फीसदी से ज्यादा है। यहां स्कूल, कॉलेज, आंगनबाड़ी, प्ले स्कूल समेत सभी लाइब्रेरी और स्वीमिंग पुल बंद रहेगा। इसके अलावा पूरे प्रदेश में धारा 144 के तहत सभी जुलूस, रैली, सभा, आयोजनों पर पाबंदी होगी। प्रदेश के बाहर से आने वालों का एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन पर कोरोना टेस्ट होगा। बुधवार को रायपुर के प्रभारी मंत्री रविंद्र चौबे ने बैठक लेकर मौजूदा हालात और तैयारियों की समीक्षा की।
दूसरी ओर मध्यप्रदेश में डेल्टा और ओमिक्रॉन दोनों के मरीज सामने आ रहें हैं। हर घंटे 25 नए कोरोनो के मरीज़ मिल रहे हैं। दिसंबर में एक दिन में जितने केस आ रहे थे,उतने अब हर घंटे में आ रहे हैं। कोरोना की बढ़ती रफ्तार को यूं समझिए। दिसंबर के 31 दिन में 904 संक्रमित मिले थे, जनवरी के 4 दिन में ही 1291 केस आए हैं। 7 दिन पहले 29 दिसंबर को 72 नए केस आए थे, जो 4 जनवरी को 594 हो गए। यानी 7 दिन के भीतर कोरोना की रफ्तार 800 % हो गई है। हालांकि राज्य सरकार कोरोना से निपटने की सभी जरूरी व्यवस्था कर रही है। संक्रमण को रोकने पूरे प्रदेश में नाइट कर्फ्यू लहा है, तो मास्क नहीं लगाने वालों पर 200 रुपए जुर्माना लगाया जाएगा तो कांग्रेस भीड़ वाले आयोजन पर बैन लगाने का सुझाव दे रही है।
ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरे के बीच चिंता इस बात की भी है कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में अब तक जीनोम सिक्वेसिंग लैब नहीं है। छत्तीसगढ़ से सैंपल भुवनेश्वर भेजे जाते हैं, जहां से रिपोर्ट आने में 15 से 20 दिन लग रहे हैं। हालांकि प्रदेश में जीनोम सिक्वेसिंग को लेकर स्वास्थ्य मंत्री TS सिंहदेव ने केंद्र को पत्र लिखकर रायपुर एम्स और रायपुर मेडिकल कॉलेज में में जल्द जांच शुरू करवाने की मांग की है। वहीं मध्यप्रदेश में दूसरी लहर के बाद सरकार ने दावा किया था कि जल्द ही राजधानी भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल में जीनोम सिक्वेंसिंग की मशीन लगाई जाएगी। लेकिन अब तक उस ओर कोई काम नहीं किया गया है।
रिपोर्ट के अभाव में डॉक्टर डेल्टा वैरिएंट के प्रोटोकॉल के अनुसार मरीज का इलाज कर रहे हैं। जबकि केंद्र ने ओमिक्रॉन वैरिएंट के इलाज का अलग प्रोटोकॉल बताया है। डेल्टा से 3 गुना ज्यादा संक्रमण फैलाने वाले ओमिक्रॉन के आइसोलेशन की प्रक्रिया भी अलग है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या जीनोम सिक्वेसिंग में देरी भारी पड़ेगी? कोरोना की तीसरी लहर और ओमिक्रॉन से निपटने जो तैयारी है, वो काफी है। सवाल कई हैं, लेकिन ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरे को लेकर जनता कितनी सजग है?