फ्लोरा मैक्स फ्रॉड: न्याय मांग रही महिलाओं पर एफआईआर, मंत्री की धमकी का वीडियो वायरल

कोरबा। फ्लोरा मैक्स कंपनी के धोखाधड़ी से परेशान पीड़ित महिलाओं को शांत कराने के बजाय उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन ने उन्हें धमकी दे दी, जिसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। उन्होंने महिलाओं से कहा, “चुप रहो, ज्यादा हेकड़ी दिखाओगी तो पुलिस बुलाकर फेंकवा दूंगा!” हालांकि, उन्हें फेंकवाया तो नहीं गया, लेकिन अब उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है।

क्या है पूरा मामला?

बीते रविवार, फ्लोरा मैक्स कंपनी के फ्रॉड से पीड़ित सैकड़ों महिलाएं अपनी समस्या के समाधान के लिए आदिवासी कार्यक्रम में शामिल होने आए उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन और आदिम जाति कल्याण मंत्री रामविचार नेताम की गाड़ी के सामने धरने पर बैठ गईं। महिलाओं का आरोप था कि उन्हें कंपनी ने लाखों रुपये का चूना लगाया, लेकिन सरकार कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है।

इस दौरान, तीन घंटे तक प्रदर्शन जारी रहा, जिससे सड़क पर यातायात बाधित हो गया। पुलिस ने स्थिति को संभालने की कोशिश की, लेकिन महिलाएं टस से मस नहीं हुईं, जिससे मंत्री भी वहीं फंसे रहे। इसी बीच, मंत्री लखनलाल देवांगन अपना आपा खो बैठे और महिलाओं को धमकी दे डाली।

महिलाओं पर एफआईआर, एंबुलेंस चालक की शिकायत बनी आधार

अब इस मामले में महिलाओं के खिलाफ सुनियोजित तरीके से अपराध पंजीबद्ध किया गया है। एंबुलेंस चालक की शिकायत के आधार पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक यूबीएस चौहान ने बताया कि आंदोलन के दौरान एक एंबुलेंस को भी रोका गया था, जिसमें मरीज था। इस आधार पर महिलाओं पर मामला दर्ज किया गया है।

पुलिस का बयान:
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने कहा, “वायरल वीडियो के आधार पर आरोपियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा।”

क्या कहती हैं पीड़ित महिलाएं?

महिलाओं का कहना है कि वे फ्लोरा मैक्स कंपनी के घोटाले की शिकार हैं और अपने हक के लिए लड़ रही थीं, लेकिन सरकार उन्हें न्याय दिलाने के बजाय उन्हीं के खिलाफ कार्रवाई कर रही है।

सोशल मीडिया पर विरोध, मंत्री के बयान की निंदा

मंत्री लखनलाल देवांगन की धमकी वाला वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कई लोग सरकार पर सवाल उठा रहे हैं कि क्या फ्रॉड के शिकार लोगों की आवाज उठाना भी अपराध हो गया है?

अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में फ्लोरा मैक्स कंपनी के खिलाफ क्या कार्रवाई करता है, या फिर केवल पीड़ितों पर ही सख्ती होती है?

 

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