
डभरा थाना में पुलिस निरीक्षक प्रवीण राजपूत की पदस्थापना के बाद क्षेत्र में कानून-व्यवस्था में उल्लेखनीय सुधार देखा गया था। उनकी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा ने न केवल अपराधियों के मन में खौफ पैदा किया, बल्कि आम जनता के बीच पुलिस प्रशासन के प्रति विश्वास भी मजबूत किया। अवैध शराब, पशु तस्करी, रेत खनन और पुलिस दलाली जैसे संगठित अपराधों पर उनकी सख्त कार्रवाई ने क्षेत्र में अपराध पर लगाम कसी थी।

प्रवीण राजपूत की कार्यशैली से अवैध कारोबार में संलिप्त लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ा, जिससे कुछ प्रभावशाली तत्वों और राजनेताओं में असंतोष बढ़ने लगा। सूत्रों के अनुसार, उनके खिलाफ लगातार राजनीतिक दबाव बनाया गया और विभिन्न स्तरों पर उनके कार्यों को बाधित करने के प्रयास किए गए। अंततः, इन दबावों के चलते उन्हें निलंबित कर दिया गया, जिससे स्थानीय लोगों में नाराजगी फैल गई।
क्षेत्रीय नागरिकों का कहना है कि प्रवीण राजपूत के नेतृत्व में डभरा थाना में अपराधों पर नियंत्रण हुआ था, और उनका निलंबन एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा है। जनता का आरोप है कि उनके निष्पक्ष रवैये और कड़े फैसलों के कारण अवैध गतिविधियों में लिप्त लोगों को नुकसान हुआ, जिसकी प्रतिक्रिया स्वरूप उनके खिलाफ कार्रवाई की गई।
डभरा क्षेत्र के नागरिकों ने पुलिस प्रशासन से मांग की है कि प्रवीण राजपूत को अविलंब बहाल किया जाए और उनकी निष्पक्ष कार्यशैली को सम्मान दिया जाए। उनका मानना है कि यदि ऐसे ईमानदार अधिकारियों के साथ अन्याय किया गया तो इससे अपराधियों के हौसले बुलंद होंगे और आम जनता का पुलिस प्रशासन से भरोसा उठ जाएगा।
प्रवीण राजपूत के कार्यकाल में डभरा थाना क्षेत्र में न केवल सुरक्षा का माहौल कायम हुआ, बल्कि पुलिस और जनता के बीच विश्वास का एक नया अध्याय शुरू हुआ था। जनता का मानना है कि उनकी बहाली से पुलिस विभाग की छवि और अधिक सशक्त होगी और क्षेत्र में कानून-व्यवस्था बनाए रखने में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
जनता ने प्रशासन से आग्रह किया है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच कर प्रवीण राजपूत की ईमानदारी और कार्यकुशलता को ध्यान में रखते हुए उन्हें फिर से डभरा थाना में पदस्थ किया जाए, ताकि क्षेत्र में कानून का राज बरकरार रह सके।