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राजिम — राजिम क्षेत्र के गांवों में आज से अक्ती पर्व की धूम देखने को मिल रही है ,अधिकतर गांवों में अक्ती पर्व का उत्साह हर उम्र के लोगों में दिख रहा है लोग गुड्डे गुड़ियों की शादी ब्याह रचाने की परंपरा को लेकर उत्साह से शादी ब्याह में लगे हुए हैं ,पांडुका क्षेत्र के ग्राम गाड़ाघाट, खट्टी, अतरमरा,रजनकटा,में पूरे उत्साह के साथ गुड्डी गुड़ियों को सजाकर तेल हल्दी चढ़ाने,चूलमाटी , लाने का रस्म निभाने का कर रहे हैं इसके बाद गाजे बाजे के साथ बाराती के साथ ब्याह का कार्यक्रम करते हैं ।अक्षय तृतीया अर्थात अक्ती के दिन बच्चे अपने मिट्टी से बने गुड्डे- गुड़ियों अर्थात पुतरा-पुतरी का ब्याह रचाते हैं। कल जिन बच्चों को ब्याह कर जीवन में प्रवेश करना है, वे परंपरा को इसी तरह आत्मसात करते हैं। बच्चे, बुजुर्ग बनकर पूरी तन्मयता के साथ अपनी मिट्टी से बने बच्चों का ब्याह रचाते हैं। इसी तरह वे बड़े हो जाते है और अपनी शादी के दिन बचपन की यादों को संजोए हुए अक्ती के दिन मंडप में बैठते है। अक्ती के दिन महामुहूर्त होता है। बिना पोथी-पतरा देखे इस दिन शादियां होती हैं।इस दिन किसानों द्वारा नए पानी से मटके को पूजाकर खेतों के बीच रखते हैं और बीज बोने का शुरुआत भी करते हैं ,कुछ अनुभवी किसानों ने बताया की मटके का रिसाव पानी के संकेत से ही आने वाले अच्छे कृषि अनुकूल मानसून का पता चल जाता है ।
सनातन धर्म में अक्षय तृतीया का अत्यंत महत्व है. यह वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. आज अक्षय तृतीया है. मान्यता के अनुसार अक्षय तृतीया पर कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है. जिसके लिए पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं होती. अक्षय तृतीया का फल अक्षय यानी कि कभी न मिटने वाला होता है. अक्षय तृतीया पर दान पुण्य का भी अत्यंत महत्व है. इस दिन किए गए दान पुण्य का कई गुना फल प्राप्त होता है ।
इसी दिन अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु जी के छठे अवतार भगवान परशुराम जी का अवतरण हुआ था ,भगवान परशुरामजी की पूजा अर्चना पूरे सनातन धर्म के अनुयाई बड़े भक्तिभाव से करते हैं ।