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RBI ने कहा कोरोना से इकोनॉमी को बचाने में सरकारी राहत पैकेज का दिखा असर

नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में देश की इकोनॉमी को बचाने के लिए सरकारी खर्च ने अहम भूमिका निभाई है। अगले वित्त वर्ष के दौरान भी सरकार को अपने खर्च पर ध्यान देना होगा। यानी राजस्व के मोर्चे पर संकट का सामना करने के बावजूद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को आम बजट 2021-22 में खर्च बढ़ाने को प्राथमिकता देनी होगी। देश की इकोनॉमी पर इसी सप्ताह जारी अपनी मासिक रिपोर्ट में आरबीआइ ने माना है कि कोरोना संकट से इकोनॉमी को उबारने में सरकारी पैकेज की भूमिका बहुत ही अहम रही है और आगे भी इसका महत्व बना रहेगा।

कोरोना के कहर को थामने के लिए केंद्र सरकार ने नवंबर, 2020 तक कुल 29,87,641 करोड़ रुपये का पैकेज जारी किया है। इसमें सबसे बड़ी 11,02,650 करोड़ रुपये की राशि आत्मनिर्भर भारत अभियान-एक के तहत दी गई है। जबकि आत्मनिर्भर भारत अभियान-दो के तहत 73 हजार करोड़ रुपये और अभियान-तीन के तहत 2.65 लाख करोड़ रुपये का पैकेज दिया गया है।

आरबीआइ ने इनकी तारीफ करते हुए कहा है कि इनकी शुरुआत गरीब जनता को मदद पहुंचाने से हुई थी, लेकिन बाद में असर व्यापक रहा। इसने मांग बढ़ाकर जीडीपी को सुधारने में मदद की। इसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि सरकार ने समय पर पैकेज देने का एलान किया।

आरबीआइ ने केंद्र व राज्यों को यह नसीहत भी दी है कि उन्हें अपने पूंजीगत खर्च को लेकर काफी सावधानी बरतनी होगी। कोविड-19 के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए सरकारी खर्च बढ़ाने की जरूरत है। इकोनॉमी के पटरी पर लौटने की प्रक्रिया अभी जारी रहेगी और इसके लिए सरकारी खर्च बढ़ाने की जरूरत होगी। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास, पर्यावरण जैसे क्षेत्रों में होने वाला पूंजीगत व्यय एकदम खत्म हो गया है। सरकार को अभी कुछ समय तक पूंजीगत व्यय व राजस्व व्यय को लेकर ज्यादा सतर्कता बरतनी होगी।

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