
रायगढ़ जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग की रेडी टू ईट पोषण आहार निर्माण योजना अभी भी पूरी तरह पटरी पर नहीं आ सकी है। सरकार की मंशा महिला स्वसहायता समूहों के माध्यम से पोषण आहार निर्माण की थी, लेकिन वर्तमान में उत्पादन का कार्य अब भी पंजरी प्लांट में ठेकेदार के माध्यम से ही चल रहा है।
भाजपा सरकार ने इस योजना को महिला समूहों को सौंपते हुए कहा था कि प्रत्येक समूह को ऑटोमेटिक मशीनें लगाकर स्वयं उत्पादन कार्य शुरू करना होगा। रायगढ़ जिले की 10 परियोजनाओं में 10 महिला समूहों को इस जिम्मेदारी सौंपी गई है। इनमें से सात समूहों ने हरियाणा की एलाइड कंपनी से मशीनें मंगवा ली हैं, जबकि तमनार, धरमजयगढ़ समेत तीन परियोजनाओं में मशीन स्थापना का कार्य अब तक अधूरा है।
प्रत्येक मशीन की कीमत लगभग 48 लाख रुपये है, जिसे बैंकों के माध्यम से फाइनेंस किया गया है। मशीनें फुली ऑटोमेटिक हैं, और इन्हें चलाने के लिए कंपनी के इंजीनियर प्रशिक्षण दे रहे हैं।
हालांकि उत्पादन शुरू होने से पहले पोषण आहार के सैम्पल की जांच नागपुर लैब में कराई जाएगी। वहां से नमी, पौष्टिकता और गुणवत्ता का प्रमाणपत्र मिलने के बाद ही समूहों को उत्पादन की अनुमति मिलेगी। फिलहाल केवल एक समूह का सैम्पल जांच के लिए भेजा गया है।
जानकारी के अनुसार, कोतरलिया परियोजना में अगस्त माह में मशीन का उद्घाटन किया जा चुका है। वहीं अन्य सात केंद्रों में मशीनें लग चुकी हैं, लेकिन सैम्पल पास न होने के कारण उत्पादन फिलहाल रुका हुआ है।
गौरतलब है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने यह कार्य निजी ठेकेदार को सौंपा था, जिसके तहत रायगढ़ के पंजरी प्लांट में ही पोषण आहार का निर्माण किया जा रहा था। वर्तमान सरकार ने नीति में बदलाव करते हुए महिला समूहों को पुनः यह जिम्मेदारी सौंपने का निर्णय लिया है ताकि स्थानीय महिलाओं को रोजगार और स्वावलंबन के अवसर मिल सकें।












