राष्ट्र के नाम समर्पित 216 फीट ऊंची प्रतिमा, PM मोदी ने बताई ज्ञान, वैराग्य और आदर्शों की प्रतीक

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शनिवार को हैदराबाद में ‘स्टैच्यू ऑफ इक्‍वालिटी’ का लोकार्पण किया. यह 216 फीट ऊंची स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी 11वीं सदी के भक्ति संत श्री रामानुजाचार्य की याद में बनाई गई है, जिन्होंने आस्था, जाति और पंथ सहित जीवन के सभी पहलुओं में समानता के विचार को बढ़ावा दिया.

ज्ञान, वैराग्य और आदर्शों की प्रतीक

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जगद्गुरु श्री रामानुजाचार्य जी की इस भव्य विशाल मूर्ति के जरिए भारत मानवीय ऊर्जा और प्रेरणाओं को मूर्त रूप दे रहा है. रामानुजाचार्य जी की ये प्रतिमा उनके ज्ञान, वैराग्य और आदर्शों की प्रतीक है.

बैठी अवस्था में दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा

यह प्रतिमा ‘पंचधातु’ से बनी है, जिसमें सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ता का एक संयोजन है और यह दुनिया में बैठी अवस्था में सबसे ऊंची धातु की प्रतिमाओं में से एक है. यह दुनिया में बैठी अवस्था में सबसे ऊंची धातु की प्रतिमाओं में से एक है.

संत रामानुजाचार्य को समर्पित

यह 54-फीट ऊंचे आधार भवन पर स्थापित है, जिसका नाम ‘भद्र वेदी’ है. इसमें वैदिक डिजिटल पुस्तकालय और अनुसंधान केंद्र, प्राचीन भारतीय ग्रंथ, एक थिएटर, एक शैक्षिक दीर्घा हैं, जो संत रामानुजाचार्य के कई कार्यों का विवरण प्रस्तुत करते हैं. इस प्रतिमा की परिकल्पना श्री रामानुजाचार्य आश्रम के श्री चिन्ना जीयार स्वामी ने की. प्रधानमंत्री ने 108 दिव्य देशम (सजावटी रूप से नक्काशीदार मंदिर) के समान मनोरंजनों का भी दौरा किया, जो ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वलिटी’ के चारों ओर बने हुए हैं.

प्रतिमा का 9 से है खास कनेक्शन

‘स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी’ को संत रामानुजाचार्य के जन्म के 1,000 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में बनाया गया है. प्रतिमा की ऊंचाई 216 फीट है. आपको बता दें कि इस प्रतिमा का 9 अंक से गहरा संबंधन है. 216 के अंकों को आप जोड़ेंगे तो 2+1+6 बराबर 9 होगा. 9 को पूर्ण अंक कहा जाता है और सनातन परंपरा में इसे शुभ अंक भी माना जाता है.

1000 करोड़ रुपये की लागत 

‘स्टैच्यू ऑफ इक्‍वालिटी’ मेगा प्रोजेक्ट पर 1000 करोड़ रुपये की लागत आई है. प्रतिमा बनाने में 1800 टन से अधिक पंच लोह का उपयोग किया गया है. पार्क के चारों ओर 108 दिव्यदेशम या मंदिर बनाए गए हैं. पत्थर के खंभों को राजस्थान में विशेष रूप से तराशा गया है.

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