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ED नोटिस पर सामना में शिवसेना का BJP पर हमला, कहा- त्वाडा कुत्ता टॉमी, साड्डा कुत्ता, कुत्ता?

शिवसेना ने कहा कि एक बात तय है कि महाराष्ट्र के बीजेपी वाले सत्ता बनाने के लिए ईडी पर कुछ ज्यादा ही निर्भर हैं. मानो ईडी की ओर से बीजेपी कार्यालय में हजारों नोटिस छापकर ही रखी गई हैं और जब कोई सच बोलने लगता है तो उसके नाम से नोटिस भेज दी जाती है.

मुंबई: पीएमसी बैंक घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शिवसेना सांसद संजय राउत की पत्नी को पूछताछ के लिए समन जारी किया था. जिसके बाद संजय राउत ने कहा था कि बीजेपी केंद्रीय जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कर महाराष्ट्र सरकार को अस्थिर करने का काम कर रही है. वहीं अब शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए बीजेपी पर हमला बोला है.

सामना में लिखा है, ‘फिलहाल महाराष्ट्र में ईडी का मामला चर्चा में है. जब से महाराष्ट्र से बीजेपी की इड़ा-पीड़ा दूर हुई है, तब से ईडी का मामला जोर पकड़ने लगा है. मतलब ईडी का प्रयोग करके बीजेपी अपने विरोधियों पर दबाव बनाने का काम कर रही है. इसी माहौल का लाभ उठाते हुए ईडी से घबराकर बीजेपी की टोली में शामिल एक ‘महात्मा’ ने ‘ठाकरे सरकार’ गिरने का नया मुहूर्त निकाला है. अब कह रहे हैं कि कुछ भी हो जाए लेकिन मार्च महीने में सरकार गिर जाएगी! उन्होंने यह मुहूर्त ‘ईडी-पीडी’ के पंचांग से निकाला या उन्हें नींद में दृष्टांत हुआ?’

शिवसेना ने कहा, ‘एक बात तय है कि महाराष्ट्र के बीजेपी वाले सत्ता बनाने के लिए ईडी पर कुछ ज्यादा ही निर्भर हैं. मानो ईडी की ओर से बीजेपी कार्यालय में हजारों नोटिस छापकर ही रखी गई हैं और जब कोई सच बोलने लगता है तो उसके नाम से नोटिस भेज दी जाती है. ऐसा धंधा शुरू है. ‘ईडी’ की नोटिस आने पर संबंधित व्यक्ति को पूछताछ के लिए जाना ही चाहिए. कानून का सम्मान होना ही चाहिए. कानून सबके लिए समान है.’

नोटिस बीजेपी विरोधियों को ही क्यों?

अपने संपादकीय में शिवसेना ने कहा, ‘दूसरी बात जो देवेंद्र फडणवीस कहते हैं वो भी ठीक है, कर नहीं तो डर क्यों? उनका ऐसा कहना एकदम सही है. लेकिन सवाल ये है कि ये नोटिस देश भर में सिर्फ बीजेपी विरोधियों को ही क्यों भेजी जा रही हैं? देश में सिर्फ बीजेपी वाले ही रोज गंगा स्नान करते हैं और बाकी लोग गटर स्नान करते हैं, ऐसा कुछ है क्या? शिवसेना के बारे में कहना हो तो कर नहीं तो डर नहीं आदि बातें ठीक हैं लेकिन कर करा के साफ-सुथरे बने रहनेवालों की हम औलाद नहीं हैं. जो किया उसकी जिम्मेदारी लेने के लिए हम तैयार हैं. इसका उत्तम उदाहरण है बाबरी का विध्वंस! इसे हास्यास्पद ही कहना होगा कि उस रण से जो भाग गए थे, वो कर और डर का उदाहरण दे रहे हैं.’

शिवसेना ने कहा, ‘2020 में ठाकरे सरकार को गिराने के सारे मुहूर्त और प्रयोग असफल साबित हुए. इसलिए राज्यपाल की पसंदीदा सरकार आने वाले पांच-पच्चीस सालों तक महाराष्ट्र में आने के लक्षण नहीं दिख रहे. फिर प्रतीक्षा किसकी करते हो? किसी ज्योतिष ने मार्च-अप्रैल का मुहूर्त दिया होगा तो यह मूर्खता ही साबित होगी. इसलिए ‘ईडी’ के संदर्भ में जिन लोगों को ‘संविधान’ की याद आती है, उन्हें राज्यपाल नियुक्त सीट को लेकर भी संविधान का स्मरण रखना चाहिए.’

बीजेपी छोड़ते ही एकनाथ खडसे को नोटिस

शिवसेना ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘फिलहाल एक संवाद बहुत चर्चा में है. वो ये है कि ‘त्वाडा कुत्ता टॉमी, साड्डा कुत्ता, कुत्ता?’ ये कुछ ऐसा ही मामला है. ‘ईडी’ आदि का प्रयोग करके महाराष्ट्र की सरकार को गिराया जा सकता है. इस अंधश्रद्धा से अब बाहर आना चाहिए. एकनाथ खडसे के बीजेपी छोड़ते ही उन्हें ‘ईडी’ की नोटिस आने लगी तो क्या इसे संविधान के दायरे में रहते हुए किया गया कार्य कहें? आंध्र प्रदेश के ‘टीडीपी’ सांसदों के घरों पर ईडी का छापा पड़ते ही डरी हुई भेंड़ें बीजेपी के झुंड में शामिल हो गईं. लालू यादव को लेकर किया गया ईडी का प्रयोग फंस गया. पश्चिम बंगाल में ईडी का डर दिखाकर शारदा चिट फंड घोटाले के मुकुल राय आदि लोग एक रात में ही बीजेपी में घुस गए.’

शिवसेना ने कहा, ‘बीजेपी में शामिल होते ही लोग शुद्ध कर दिए जाते हैं और इस काम में ईडी पुरोहित का काम करती है. इसलिए मुंबई के ईडी कार्यालय के सामने कुछ जागरूक लोगों ने बीजेपी कार्यालय का बोर्ड ठोक दिया. इसलिए ईडी क्या है, ये बीजेपी वाले न सिखाएं. शरद पवार हों या संजय राउत. खडसे, सरनाईक हों या महाविकास आघाड़ी का कोई अन्य, उन पर कार्रवाई विकृति की पराकाष्ठा है. कानून का पालन करने हेतु अगर सही होगा तभी वो कानून जनता को पालना चाहिए. अवैध आदेश पालना नागरिकों की सनद में नहीं बैठता. सीबीआई और ईडी जैसी संस्थाओं का अधोपतन तेजी से हो रहा है.’

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