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सर्वे का खुलासा: जानिए भारत में लोग कोरोना वैक्सीन का टीका लगवाना चाहते हैं या नहीं?

नई दिल्ली:

 देश में पिछले कुछ दिनों से कोरोना के नए मरीजों के आंकड़े भले ही कम हो रहे हों लेकिन खतरा कम नहीं हुआ है. सरकार की तरफ से भी अपील की जा रही है कि कोरोना को लेकर बिल्कुल भी ढील ना दें. इस बीच वैक्सीन को लेकर भी अच्छी खबरें आने लगी हैं. अमेरिका और ब्रिटेन में कोरोना का टीकाकरण शुरू हो गया. भारत में भी जल्द वैक्सीन को मंजूरी मिल सकती है. सरकार की ओर से इसे लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. वैज्ञानिकों की तरफ से हरी झंडी मिलते ही देश में कोरोना की वैक्सीन लगनी शुरू हो जाएगी.

इस बीच देश से एक हैरान करने वाली खबर सामने आ रही है. दिल्ली की एक कंसंल्टेंसी फर्म लोकल सर्किल के सर्वे के मुताबिक देश में कोरोना के टीके को लेकर लोगों के अंदर हिचक है. सर्वे के आंकड़े के मुताबिक 69% लोगों ने कहा कि उन्हें वैक्सीन की जरूरत नहीं है.

लोकल सर्वे ने एक बयान जारी कर बताया, ”वैक्सीन के साइड इफेक्ट को लेकर जानकारी ना होना, यह कितनी कारगर होगी और ऐसा मानना कि इम्युनिटी की वजह से उन्हें कोरोना हो ही नहीं सकता हैं लोगों में हिचक के मुख्य कारण हैं.” सर्वे में शामिल ज्यादातर लोगों का मानना है कि हम हर्ड इम्युनिटी की ओर बढ़ रहे हैं.

सर्वे में शामिल कुछ लोगों ने कहा कि वैक्सीन को टेस्टिंग के लिए जितना टाइम देना चाहिए था उतना नहीं दिया गया. वैक्सीन बनाने वाली सभी कंपनियां जल्द से जल्द मार्केट में वैक्सीन लॉन्च कर देना चाहती हैं.

पूरे एशिया में वैक्सीन को लेकर यही रुख, ज्यादातर लोग नहीं है इच्छुक-सर्वे
एक दूसरे सर्वे के मुताबिक एशियाई मूल के लोगों में वैक्सीन के प्रति अनिच्छा देखी जा रही है. ‘ब्लैक, एशियन एंड माइनॉरिटी एथनिक’ (बीएएमई) समूह सहित ब्रिटेन में भारतीय मूल के लोग कोविड-19 का टीका लगवाने को इच्छुक नहीं हैं. नए अध्ययन में यह दावा करते हुए ब्रिटेन सरकार से लोगों को टार्गेट करते हुए अभियान चलाने की अपील की गई है.

रॉयल सोसाइटी फॉर पब्लिक हेल्थ’ (आरएसपीएच) द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया कि ब्रिटेन के चार में से तीन लोग (76 प्रतिशत) अपने डॉक्टर की सलाह पर टीका लगवाने को तैयार हैं, जबकि केवल आठ प्रतिशत ने ही ऐसा ना करने की इच्छा जाहिर की. बीएएमई पृष्ठभूमि (199 प्रतिभागियों) के केवल 57 प्रतिशत प्रतिभागी टीका लगवाने को राजी हुए, जबकि 79 प्रतिशत श्वेत प्रतिभागियों ने इसके लिए हामी भरी.

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