
रायपुर। माओवादी संगठन MMC जोन द्वारा छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्रियों को भेजे गए पत्र ने प्रदेश की राजनीति और सुरक्षा एजेंसियों में हलचल मचा दी है। पत्र में नक्सलियों ने पहली बार औपचारिक रूप से हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने की इच्छा जताई है। संगठन ने सरकारों से सरेंडर प्रक्रिया के लिए समय और कुछ शर्तों पर बातचीत का अवसर देने की मांग भी की है।
“दरवाजे हमेशा खुले हैं”—उपमुख्यमंत्री अरुण साव
पत्र सामने आने के बाद उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि राज्य सरकार नक्सल उन्मूलन को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने स्पष्ट कहा—
“अगर नक्सली हिंसा छोड़ना चाहते हैं, तो उनके लिए सरकार के दरवाजे हमेशा खुले हैं। सम्मानजनक पुनर्वास योजनाएं देने को हम तैयार हैं। लेकिन अगर हिंसा जारी रही तो सुरक्षा बलों की कार्रवाई भी जारी रहेगी।”
इंडिया गेट पर कुख्यात नक्सली हिडमा के समर्थन में लगे नारों पर उन्होंने सख्त प्रतिक्रिया दी। अरुण साव ने इसे “टुकड़े-टुकड़े गैंग की मानसिकता” बताया और कहा कि केंद्र व राज्य सरकार ऐसे तत्वों पर कड़ी कार्रवाई करेगी।
“देश विरोधी गतिविधियों में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।”
कांग्रेस ने उठाए सवाल
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने इस पत्र की सत्यता पर सवाल उठाते हुए सरकार से स्पष्ट बयान की मांग की है। उन्होंने कहा—
“पहली बार तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को नक्सलियों ने पत्र लिखा है। इसकी प्रामाणिकता क्या है, यह सरकार को तुरंत स्पष्ट करना चाहिए। अगर पत्र असली है तो इस पर गंभीर और ठोस निर्णय आवश्यक है।”
सुरक्षा एजेंसियों में मंथन शुरू
नक्सलियों का यह पत्र अब सुरक्षा एजेंसियों और राजनीतिक हलकों में गहन चर्चा का विषय बन चुका है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में राज्य सरकार इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से भी विस्तृत चर्चा कर सकती है।
नक्सल समस्या से जूझ रहे इन तीन राज्यों के लिए यह पत्र एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है—अब यह देखना होगा कि बातचीत और सरेंडर की यह संभावित पहल किस दिशा में बढ़ती है।














