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आत्महत्या करने वाले किसानों की पत्नियां पंजाब से दिल्ली बॉर्डर पहुंची, बहन और मांए भी प्रदर्शन में शामिल

नई दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा किसानों का आंदोलन हर दिन तेज होता जा रहा है. बड़ी संख्या में महिलाएं भी प्रदर्शन में शामिल होने लगी हैं. कर्ज की वजह से आत्महत्या करने वाले पंजाब के कई किसानों की पत्नी, बहन और मांए भी अब दिल्ली बॉर्डर पर पहुंच गई हैं.

केंद्र के तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर पंजाब, हरियाणा और अन्य स्थानों के हजारों किसान करीब तीन हफ्ते से सिंघु और टिकरी सहित दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं. दिल्ली बॉर्डर के नजदीक प्रदर्शन स्थल पर बुधवार को महिलाएं घर के उन पुरुष सदस्यों की तस्वीर के साथ पहुंची जिन्होंने कर्ज के जाल में फंसने की वजह से आत्महत्या कर ली थी.

700-800 महिलाए प्रदर्शन में शामिल हुईं
भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्रहण) की उपाध्यक्ष हरिदंर कौर बिंदू ने बताया, “करीब 700-800 महिलाएं जिनके परिवार के सदस्यों ने कृषि ऋण की वजह से आत्महत्या की थी, प्रदर्शन में शामिल हुईं. ये महिलाएं मनसा, बठिंडा, पटियाला और संगरूर सहित पंजाब के विभिन्न जिलों से आई हैं.”

बिंदू ने दावा किया, ‘नए कृषि कानूनों से राज्य में किसानों द्वारा आत्महत्या करने की संख्या और बढ़ सकती है. ये कानून कृषि समुदाय के हित में नहीं है और ये कृषि क्षेत्र को बर्बाद कर देंगे.’ वहीं पटियाला जिले से आईं 50 साल की परमजीत कौर ने कहा, ‘केंद्र द्वारा लाए गए कृषि कानून, किसानों को और कर्ज के जाल में ढकेलेंगे.’ दरअसल, कौर के पति ने नौ साल पहले आत्महत्या कर ली थी और परिवार के पास नाममात्र की जमीन है. पटियाला की 65 साल की मोहिंदर कौर ने बताया कि उनके 19 साल के पोते ने पांच साल पहले आत्महत्या कर ली थी क्योंकि परिवार उसकी पढ़ाई का खर्च नहीं उठा पा रहा था.

भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्रहण) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलान ने कहा कि हम रेखांकित करना चाहते हैं कि कैसे कर्ज में दबे पंजाब के किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं. उन्होंने दावा किया, ‘एक अनुमान के अनुसार साल 2006 से अबतक पंजाब में करीब 50 हजार आत्महत्या की घटनाएं हुयी है.’

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