शासकीय कॉलोनी में चोरों का कहर: नायब तहसीलदार और पटवारी के घर भी नहीं बचे सुरक्षित

घरघोड़ा की सरकारी कॉलोनी में तीसरी बार बड़ी चोरी, पांच घरों के ताले टूटे, पुलिस पर उठ रहे गंभीर सवाल

📍घरघोड़ा/रायगढ़, 13 जुलाई 2025
शासकीय कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर घरघोड़ा पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। कंचनपुर स्थित शासकीय कॉलोनी में बीती रात चोरों ने फिर एक दुस्साहसिक वारदात को अंजाम दिया—इस बार नायब तहसीलदार, पटवारी समेत कुल पाँच शासकीय आवासों को निशाना बनाकर ताले तोड़े गए और घरों में हाथ साफ किया गया।


तीसरी बार कॉलोनी पर हमला, अब तक एक भी गिरफ्तारी नहीं

यह पहली बार नहीं, जब इस कॉलोनी को चोरों ने निशाना बनाया है। इससे पहले भी दो बार यहां बड़ी चोरियां हो चुकी हैं—पहली बार 7 घर, दूसरी बार 3 घर और अब 5 घरों को तोड़ा गया है। बावजूद इसके पुलिस ने अब तक एक भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया, जिससे स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है।


सवालों के घेरे में पुलिस: न गश्त, न पहरा, न कार्रवाई

कॉलोनी के रहवासियों का कहना है कि हर रात उन्हें डर के साए में सोना पड़ता है। शिकायतें दर्ज कराने के बावजूद पुलिस की निष्क्रियता और गश्त व्यवस्था पूरी तरह नदारद है। रहवासियों को अब यह संदेह सताने लगा है कि कहीं यह सब किसी मिलीभगत का नतीजा तो नहीं?


सिर्फ खानापूर्ति तक सीमित है कार्रवाई

पिछली दो घटनाओं की तरह इस बार भी पुलिस ने घटनास्थल का निरीक्षण कर सामान्य पूछताछ और एफआईआर दर्ज कर ली है, लेकिन किसी ठोस कार्रवाई के संकेत नहीं हैं। कॉलोनीवासियों का आरोप है कि पुलिस सिर्फ कागजी कार्रवाई तक सीमित है, जबकि अपराधियों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं।


अब सबसे बड़ा सवाल:

❓ क्या पुलिस शासकीय कॉलोनियों की सुरक्षा तक नहीं कर सकती?
❓ कब होगा इन चोरियों का खुलासा?
❓ अगला निशाना कौन होगा—किसी अफसर का घर या आम नागरिक का?


जनता और अधिकारी सब असुरक्षित, पुलिस अब भी गहरी नींद में!

जिस सिस्टम पर सुरक्षा की जिम्मेदारी है, जब वही सोया हुआ दिखे, तो अपराधी निडर होकर वारदात करेंगे ही। पुलिस की निष्क्रियता और अपराधियों की बेखौफी, दोनों अब खतरनाक मोड़ पर हैं। ऐसे में सरकार और प्रशासन को सख्त कदम उठाने की जरूरत है, ताकि आम लोगों और अधिकारियों में सुरक्षा का विश्वास कायम हो सके।

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