Vande Mataram Debate : राज्यसभा में अमित शाह और खड़गे आमने-सामने, तुष्टिकरण और असल मुद्दों से भटकाव पर तीखी बहस

लोकसभा में जहां इस चर्चा की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी वहीं राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने इस मुद्दे पर अपनी बात रखी. उनके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी इस चर्चा में भाग लिया.पीएम मोदी की तरह अमित शाह ने भी इस चर्चा के दौरान कांग्रेस पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाया.वहीं मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि बीजेपी और नरेंद्र मोदी को कांग्रेस की बुराई करने की आदत पड़ चुकी है.अमित शाह ने दावा किया कि “अगर तुष्टिकरण की नीति के तहत (कांग्रेस पार्टी) वंदे मातरम के टुकड़े न करती तो देश का विभाजन न होता.”विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने सोमवार को लोकसभा में केंद्र सरकार पर आरोप लगाया था कि वो बेरोज़गारी-महंगाई जैसे असल मुद्दों से भागने के लिए ‘वंदे मातरम’ पर चर्चा कर रही है. इन आरोपों पर भी अमित शाह ने अपनी बात रखी थी.राज्यसभा में अमित शाह ने कहा कि आज़ादी के 50 साल के बाद वंदे मातरम 100 साल का हो गया था लेकिन तब वंदे मातरम बोलने वाले सभी लोगों को इंदिरा गांधी ने जेल में बंद कर दिया था, इस देश में आपातकाल लगाया गया और विपक्ष के लाखों लोगों और समाजसेवियों को जेल में बंद कर दिया गया.

अमित शाह ने कहा कि तब अख़बार के दफ़्तरों पर ताले लग गए और आकाशवाणी से किशोर कुमार के गाने बंद हो गए थे.उन्होंने कहा, “कल 150 साल पूरे हुए और लोकसभा में चर्चा हुई और जो वंदे मातरम कांग्रेस पार्टी के आज़ादी के आंदोलन का एक मंत्र बना था. इस वंदे मातरम के महिमामंडन के लिए जब लोकसभा में चर्चा हुई तब गांधी परिवार के दोनों सदस्य नदारद थे. वंदे मातरम का विरोध जवाहरलाल नेहरू से लेकर आज का कांग्रेस नेतृत्व करता है.”

मंगलवार को अमित शाह ने बिना प्रियंका गांधी का नाम लिए कहा, “मैं कल देख रहा था कांग्रेस के कई सदस्य वंदे मातरम को राजनीतिक हथकंडा और ध्यान भटकाने का हथियार बता रहे थे. मुद्दों पर चर्चा करने से कोई नहीं डरता है, संसद का बहिष्कार हम नहीं करते. संसद चलने दी जाए तो सभ मुद्दों पर चर्चा हो. किसी भी मुद्दे पर चर्चा करने के लिए हम तैयार हैं. वंदे मातरम पर चर्चा को टालने की मानसिकता नहीं है.”

उन्होंने कहा, “कुछ लोगों को दिखता है कि बंगाल में चुनाव आने वाला है इसलिए चर्चा हो रही है. वंदे मातरम के महिमामंडन को बंगाल के चुनाव के साथ जोड़कर कम करना चाहते हैं. वंदे मातरम के रचनाकार बंकिम बाबू बंगाल में पैदा हुए और वहां गीत की रचना हुई और आनंदमठ जिस रचना में वंदे मातरम में समाहित हुआ लेकिन जब वंदे मातरम का प्रगटिकरण हुआ तब वो बंगाल तक सीमित नहीं रहा.”

 

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