देशभर में उठने लगी मुकेश चंद्राकर के लिए न्याय की आवाज
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया’ ने भी की घटना की निंदा, पढ़ें क्या कहा
बस्तर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में स्वतंत्र पत्रकार मुकेश चंद्राकर की निर्मम हत्या ने पूरे पत्रकारिता जगत को झकझोर दिया है। इस घटना पर प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए इसकी कड़ी निंदा की है। क्लब ने एक बयान जारी कर आरोपियों के खिलाफ त्वरित और सख्त कार्रवाई की मांग की है। क्लब ने कहा, “हम मुकेश चंद्राकर की दुखद हत्या से स्तब्ध हैं और इस भयावह घटना की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। इस कठिन समय में हम पीड़ित परिवार के साथ खड़े हैं।”
प्रेस क्लब ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से भी इस घटना का स्वत: संज्ञान लेने और राज्य सरकार से त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने की अपील की है।
1 जनवरी से लापता थे मुकेश चंद्राकर
बीजापुर पुलिस के अनुसार, मुकेश चंद्राकर 1 जनवरी से लापता थे। उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस ने उनकी तलाश शुरू की। जांच के दौरान पुलिस ने उनके मोबाइल फोन को ट्रैक करते हुए एक ठेकेदार सुरेश चंद्राकर की संपत्ति तक पहुंच बनाई। वहाँ एक सेप्टिक टैंक की जांच में मुकेश का शव बरामद हुआ।
पुलिस के अनुसार, शव को तुरंत पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मुकेश के लापता होने की सूचना मिलते ही उनकी लोकेशन ट्रैक की गई, जिससे सुरेश चंद्राकर की प्रॉपर्टी का पता चला।
विशेष जांच दल का गठन
राज्य सरकार ने इस हत्याकांड की गंभीरता को देखते हुए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है। राज्य के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने बताया कि इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि मुख्य आरोपी सुरेश चंद्राकर, जो कांग्रेस का स्थानीय नेता भी है, अभी फरार है।
उपमुख्यमंत्री ने इस घटना को बेहद क्रूर और अमानवीय बताते हुए कहा, “मुकेश चंद्राकर माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में अपनी साहसिक रिपोर्टिंग और गहन समझ के लिए जाने जाते थे। उनकी हत्या ने पूरे राज्य को स्तब्ध कर दिया है।” उन्होंने यह भी बताया कि मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी के लिए चार विशेष टीमों का गठन किया गया है।
घटना पर राजनीतिक विवाद
मुख्य आरोपी सुरेश चंद्राकर के कांग्रेस से जुड़े होने के कारण यह मामला राजनीतिक रूप से भी चर्चा में है। हालांकि, राज्य सरकार ने आश्वासन दिया है कि मामले में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।
इस घटना ने छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गहरी चिंता पैदा कर दी है। पत्रकार संगठनों ने इस मामले में त्वरित न्याय की मांग की है और सरकार से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि पत्रकारों को सुरक्षित माहौल में काम करने का अधिकार मिले।