कुपोषण मुक्ति के लिये मिशन मोड में काम करें महिला बाल विकास विभाग-कलेक्टर भीम सिंह
रायगढ़ । जिले में कुपोषण मुक्ति के लिये मिशन मोड में कार्य करना है, इसके लिये आवश्यक है समय-सीमा निर्धारित करते हुये कुपोषण की दर में कमी लाने के लिये लक्ष्य निर्धारित किये जाये। जिसके अनुरूप हम अपनी कार्ययोजना बनाकर प्रभावी तरीके से कुपोषित बच्चों को इस कुचक्र से जल्द से जल्द बाहर निकाल सके। उक्त बातें कलेक्टर भीम सिंह ने महिला बाल विकास विभाग के समीक्षा बैठक के दौरान कही। उन्होंने कहा कि बच्चे के जन्म के पश्चात उसके शुरूआती एक हजार दिन उसके दिमागी विकास के लिये बहुत महत्वपूर्ण होते है। इस दौरान सही खान-पान व देखभाल बहुत जरूरी होता है इस समय में बच्चे के अंदर हुआ विकास उसके संपूर्ण जीवन की नींव बनता है। इसलिये पूरी गंभीरता व संवेदनशीलता से कुपोषण मुक्ति के लिये काम करे। उन्होंने यह कहा कि गर्भवती महिलाओं को भी पौष्टिक आहार मिले, यदि गर्भवती माता की देखरेख अच्छी होगी तो बच्चे का स्वास्थ्य भी मजबूत होगा। इस कार्य के लिये डीएमएफ से भी बड़ी राशि उपलब्ध करवायी गई है अत: यहां व्यापक स्तर पर कार्य हो यह विभागीय अधिकारी सुनिश्चित करें।
कुपोषण मुक्त पंचायत बनाने की दिशा में करना है कार्य
कलेक्टर सिंह ने महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी-कर्मचारी से कहा कि जिले में पंचायतों को कुपोषण मुक्त बनाना है, इसके लिये विभाग व पंचायत पदाधिकारी व गांव के निवासी की सामुहिक सहभागिता आवश्यक है। उन्होंने हाल ही में जिले के प्रथम कुपोषण मुक्त गांव घोषित हुये बाम्हनपाली का उदाहरण देते हुये बताया कि वहां सामूहिक जिम्मेदारी लेकर बच्चों को कुपोषण से बाहर निकाला गया। इसी प्रकार जिले के अन्य पंचायतों में भी काम करें। उन्होंने आंगनबाड़ी सुपरवाईजर से कहा कि कुपोषण मुक्त पंचायत बनने पर संबंधित ग्राम के साथ-साथ विभागीय कर्मचारियों को भी प्रोत्साहन पत्र व राशि दी जायेगी।
बच्चों को मिले गरम भोजन
कलेक्टर सिंह ने कहा कि कोरोना संकट के चलते आंगनबाड़ी केन्द्रों के संचालन में समस्या है किन्तु इससे कुपोषित बच्चों को मिलने वाला पोषण आहार प्रभावित नहीं होना चाहिये। जहां आंगनबाड़ी केन्द्र में बच्चे नहीं आ रहे है वहां उन्हें गरम भोजन टिफिन में घर पहुंचाकर दिया जाना है। इसके लिये तमाम आवश्यक व्यवस्थायें आंगनबाड़ी केन्द्रों में होनी चाहिये। साथ ही आंगनबाड़ी केन्द्रों में क्रय की जाने वाली सब्जी स्थानीय बाडिय़ों से लेना है। इसके लिये उन्होंने उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से समन्वय स्थापित कर प्रत्येक आंगनबाड़ी केन्द्र में आवश्यक सब्जी का सप्लाई चेन बनाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि जिन आंगनबाडिय़ों में जगह है वहां पोषण बाड़ी भी विकसित की जा रही है।
गांव में सेनेटरी नेपकिन के उपयोग को दे बढ़ावा
कलेक्टर सिंह ने बैठक के दौरान जिले के ग्राम पंचायतों में महिलाओं के स्वास्थ्य सुरक्षा की दृष्टि से सेनेटरी नेपकिन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिये कहा। इसके लिये उन्होंने सुपरवाईजर को गांवों में महिलाओं से प्रत्येक चर्चा कर सेनेटरी नेपकिन उपयोग के फायदों को बताने तथा इससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि सेनेटरी नेपकिन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिये 25 पंचायतों में महिला समूहों को एक-एक लाख रुपये की राशि दी गई है जिससे वे सेनेटरी नेपकिन तैयार गांव में वाजिब दामों में विक्रय कर सके। उन्होंने ग्राम स्तर पर शुचिता अभियान चलाकर प्रत्येक गांव में मिडिल व हाईस्कूल, हायर सेकेण्डरी स्कूल, आईटीआई कालेज, आश्रमों में उपयोग की गई नेपकिन के उचित निपटान हेतु इंसिनेटर (भस्मक) मशीन उपलब्ध करवाने के लिये कहा। प्रत्येक आंगनबाड़ी केन्द्रों में भी सेनेटरी नेपकिन रखने के निर्देश दिये। प्रत्येक गांव में जागरूकता के लिये स्वच्छता सखी का चयन करने के लिये कहा। उन्होंने कहा कि कुपोषण मुक्त पंचायत की तर्ज पर शत-प्रतिशत सेनेटरी नेपकिन उपयोग करने वाले पंचायत भी बनाने है। इसके लिये उन्होंने गांवों का सर्वे करवाने के निर्देश दिये।
आंगनबाड़ी केन्द्रों के संचालन के लिये मैनपावर व संसाधनों की दे जानकारी
कलेक्टर सिंह ने कहा कि आंगनबाड़ी केन्द्रों में भर्ती के लिये रिक्त पद, जिनमें चयन हो चुका है उसकी सूची सहित सभी जानकारी प्रस्तुत करें। साथ ही जिन आंगनबाड़ी केन्द्रों में वाटर सप्लाई प्रभावित है, जहां आंगनबाड़ी भवन अधूरे है या जर्जर है इसकी सूची उपलब्ध करावें। जिससे वहां आवश्यक सुधार कार्य करवाया जा सके।
इस दौरान महिला बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी टी.के.जाटवर सहित जिले के सभी सीडीपीओ व आंगनबाड़ी सुपरवाईजर सहित अन्य अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे।