महिला आयोग अध्यक्ष डॉ. नायक ने महिला उत्पीडन से संबंधित प्रकरणो पर की जन सुनवाई
दत्तक पुत्र ने बुढ़ी मां को किया घर से बेदखल, मां ने आयोग के समक्ष बताई आपबीती
महिला आयोग की आड़ लेकर शिकायत करने वाली महिला की सच्चाई आयी सामने, 2 पतियों ने मौके पर की शिकायत
2 लाख रुपये भरण-पोषण की राशि पर पति-पत्नी आपसी राजीनामा से तलाक लेने के लिए हुए सहमत
संपत्ति से जुड़े मामले में हस्ताक्षर के फारेंसिक जांच के दिये निर्देश
महिलाओं को मिले त्वरित न्याय यह हमारी प्राथमिकता – डॉ. किरणमयी नायक
आयोग के नोटिस के बावजूद सुनवाई में अनुपस्थिति को लिया गंभीरता से, भविष्य में पुनरावृत्ति होने पर कड़ी कार्यवाही की दी चेतावनी
रायगढ़ । राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक ने आज सृजन सभाकक्ष में आयोग के समक्ष महिला उत्पीडन से संबंधित प्रस्तुत प्रकरणों पर जनसुनवाई की सुनवाई में कुल 23 प्रकरण रखे गये थे। जिसमें 16 प्रकरणों का निराकरण करते हुए नस्तीबद्ध किया गया तथा 07 प्रकरणो को निगरानी व जांच के लिए रखा गया। डॉ नायक ने कहा कि महिलाओं को त्वरित न्याय मिले इस दिशा में आयोग निंरतर कार्यरत है। इसके लिए प्रदेश के सभी जिलो में जाकर जनसुनवाई की जा रही है। उन्होंने आगे कहा कि एक महिला पूरा जीवन परिवार को संजोने में लगाती है, बुढ़ापे में सहारे व सम्मान की उम्मीद करती है, जिसे देना उसके संतानों व परिवार जनों की नैतिक जिम्मेदारी है। महिलाओं के विरूद्ध होने वाले अन्याय व उत्पीडऩ का असर पूरे परिवार खासकर बच्चों पर पड़ता है। इसलिए कोशिस होनी चाहिए की आपसी सलाह-मशविरे से मामलो में सुलह हो जाये। महिलाओं का अधिकार उन्हें प्रताडऩा से बचाने के लिये है इसका दुरूपयोग दुसरों को प्रताडि़त करने के लिये नही होना चाहिए।
आयोग के समक्ष प्रस्तुत एक मामले में 92 वर्षीय आवेदिका ने शिकायत की थी कि उसके रिश्तेदार ने उसे तथा उसके पति को जो कि अब स्वर्गवासी है प्रताडित कर घर से बेदखल कर वहॉ अपना कब्जा कर रखा है। आवेदिका की बेटी ने भी बताया कि अनावेदक द्वारा लगातार आवेदिका को लगातार कई वर्षो से प्रताडि़त किया जाता रहा है। घर से बाहर निकालने के दुख में 15 दिवस के भीतर पिताजी का देहांत हो गया था। सुनवाई के दौरान अनावेदक ने स्वंय को आवेदिका का दत्तक पुत्र बताया। हालाकि इस संबंध में गोदनामे का कोई दस्तावेज अनावेदक ने प्रस्तुत नही किया। इस संबंध में अनावेदक से पूछने पर उसने ऐसी किसी प्रकार की घटना से इनकार किया और इसे संपत्ति से जुड़ा मामला बताया। सुनवाई के दौरान अनावेदक ने स्वयं की बुरी आर्थिक स्थिति का हवाला दिया जबकि सवाल-जवाब में यह बात सामने आई कि वह सरिया में भारत माता पब्लिक स्कूल का डॉयरेक्टर है तथा उसकी कपड़े की भी दुकान है। वह दत्तक पुत्र होने के नाते मकान में हिस्सा चाहता है।
आवेदिका से पूछने पर उन्होंने कहा कि उन्हे अपना घर वापस चाहिए तथा वह आगे अपनी बेटी के साथ ही रहना चाहती है। महिला आयोग अध्यक्ष डॉ. नायक सुनवाई के पश्चात प्रकरण में आवेदिका तथा अनावेदक के चल-अचल सम्पत्ति की जांच करने तथा उसकी सूची तैयार करने व अनावेदक के दत्तक पुत्र होने वाले साक्ष्यों की जांच करने एसडीएम सारंगढ को अधिकृत करते हुए 02 माह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिये।
इसी प्रकार एक अन्य मामले में आवेदिका द्वारा अपने पति तथा ससुराल वालो पर दहेज प्रताडऩा व घरेलू हिंसा की शिकायत की गई। सुनवाई के दौरान महिला के पति ने बताया कि उक्त महिला का पूर्व में विवाह हो चुका था, पहले पति से तलाक लिए बिना मुझसे विवाह किया गया है। सुनवाई के दौरान महिला का पहला पति भी उपस्थित रहा। महिला के एक आधार कार्ड एवं वोटर आईडी कार्ड पर पहले पति का नाम तथा सुधार कर बनाये दूसरे आधार कार्ड एवं वोटर आईडी कार्ड पर पिता का नाम पाया गया। दोनों ही आधार कार्ड में क्रमांक समान है। पहले पति द्वारा महिला पर धारा 420, 494, 109 जा.फौ. के तहत मामला दर्ज करवाया गया है।
जबकि महिला ने वर्तमान पति तथा उसके परिवार पर 498(अ) के तहत दर्ज करवाया हुआ है। इस प्रकार सुनवाई में यह तथ्य सामने आया कि महिला वर्तमान पति की जानकारी के बाहर पूर्व में भी विवाहरत थी। महिला आयोग अध्यक्ष डॉ नायक ने इस गंभीर और संवेदनशील मामले की पूरी जॉच करने 01 माह तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश पुलिस विभाग की महिला सेल को दिये है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को मिले अधिकार उनको प्रताडऩा से बचाने के लिए ना कि दूसरों को प्रताडि़त करने के लिए होते है।
संपत्ति विवाद से जुड़े एक अन्य मामले पर आवेदिका द्वारा शिकायत की गई कि 26 फरवरी 2012 उसे धोखे में रखकर एक एकड़ जमीन जो में बेचना चाहती थी उसके स्थान पर 1.682 हेक्टेयर को अनावेदक द्वारा अपने किसी कर्मचारी के नाम पर बेनामी रूप से लिखवा लिया गया है। आवेदिका ने 2018 में जब अपनी जमीन का कुछ हिस्सा पुत्री के विवाह के लिये बेचना चाहा तब उन्हें अपने साथ हुये इस धोखाधड़ी का पता चला। इस प्रकरण में डॉ. नायक ने गंभीर आर्थिक अनियमितता, धोखाधड़ी व कूटरचना की बात सामने आने पर आवेदिका के हस्ताक्षर के फारेंसिक जांच करवाने तथा विवादित भूमि पर निर्णय न होने पर किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य को पूर्णत: प्रतिबंधित करने तथा इस संपूर्ण मामले की एसडीएम रायगढ़ द्वारा दो माह में जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिये।
आयोग के समक्ष आवेदिका द्वारा घरेलू व मानसिक प्रताडऩा की शिकायत की गई थी। जिसकी सुनवाई के दौरान पति-पत्नी ने अपना पक्ष रखा व संबंध खत्म करने की बात कही। महिला आयोग अध्यक्ष डॉ.नायक ने दोनों पक्षों को आपसी रजामंदी से अलग होने की समझाईश दी जिस पर पति द्वारा भरण-पोषण के लिये वन टाईम सेटलमेंट के तहत 2 लाख रुपये देना तथा विवाह के समय दहेज में दी गई समस्त सामग्री को वापस लौटाने की शर्त पर दोनों पक्ष आपसी राजीनामा से तलाक लेेने के लिये राजी हुये। इसी प्रकार एक अन्य प्रकरण में आयोग द्वारा उपस्थिति के लिए पूर्व में दिये नोटिस के बावजूद अनावेदक द्वारा जानबूझकर उपस्थित नही होना और बिना अधिकार पत्र के प्रतिनिधि को सुनवाई में भेजने पर डॉ नायक ने कडी आपत्ति जताते हुए भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति करने पर पुलिस कस्टडी में सुनवाई के लिए पेश करने की हिदायत दी। इस मामले में आवेदिका के पति अनावेदक के कंपनी में कार्यरत थे। उनके देहांत उपरांत कंपनी में जमा उनकी राशि, इंश्योरेंस व क्लेम का भुगतान अनावेदक द्वारा नहीं किया गया था। डॉ.नायक ने अनावेदक को क्लेम व सेटलमेंट की राशि आवेदिका को देते हुये आयोग में सूचित करने के निर्देश दिये।
महिलाओ से कार्यस्थल पर प्रताडना, घरेलू मारपीट, सम्पत्ति से जुडे विवाद संबंधी प्रकरणों पर सुनवाई की गयी। इस दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष निराकार पटेल, महापौर नगर निगम रायगढ़ मती जानकी काटजू, कलेक्टर भीम सिंह, पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह, एडीएम राजेन्द्र कटारा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डॉ राजेन्द्र प्रसाद भईया, शासकीय अधिवक्ता शमीम रहमान, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास टी.के. जाटवर सहित विभागीय अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।