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World Mental Health Day 2022 : महामारी की तरह बढ़ने लगी डिप्रेशन, इन बातों का रखें ध्यान

डिप्रेशन महामारी का रूप लेने की स्थिति में है। ऐसा इसलिए कि बदलती जीवनशैली की वजह से लोग तेजी से मानसिक बीमारियों की चपेट में आने लगे हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना काल के बाद मानसिक रागियों की संख्या 20 प्रतिशत बढ़ गई।

हल्द्वानी के डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय, बेस अस्पताल व निजी अस्पतालों के मानसिक रोग क्लीनिकों में आने वाले मरीजों में 50 प्रतिशत डिप्रेशन के मामले रहते हैं। मनोचिकित्सकों का कहना है कि इसलिए जरूरी है कि इस विषय पर लोग खुलकर बात करें और समाधान के लिए आगे आएं।

भौतिक जगत में सफल युवाओं को कचोट रहा अकेलापन

मनोविज्ञानी व कुलसचिव, यूओयू डा. रश्मि पंत कहती हैं कि आजकल परिवार में संस्कार नहीं दिखते। युवा भले ही घर से दूर भौतिक जगत में सफलता की ऊंचाइयों को छू लें, लेकिन सूनापन उन्हें कचोटने लगता है। कई बार यह सूनापन डिप्रेशन का रूप ले लेता है। ऐसे में युवा गलत कदम उठाने से भी नहीं चूकते। जरूरत सही मार्गदर्शन की है।

सकारात्मक रहने के साथ करते रहें योगा

नैदानिक मनोविज्ञानी, एसटीएच डा. युवराज पंत बताते हैं कि भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव होना आम है, लेकिन इससे निपटने के तरीके पता होने चाहिए। सकारात्मक रहने, दूसरों की मदद करने, शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने, योग, मेडिटेशन करने, नशे से दूर रहने और स्वयं के लिए समय निकालने से मानसिक समस्या से निजात पाई जा सकती है। दिक्कत बढ़ने पर मानसिक स्वस्थ्य विशेषज्ञों से परामर्श लें।

मानसिक शारीरिक स्थिति में बनाए सामंजस्य

नैदानिक मनोविज्ञानी डा. विनीता कपूर का कहना है कि हमारी मानसिक स्थिति शारीरिक स्थिति से बेहतर होनी चाहिए। तभी हम जीवन का भरपूर आनंद उठा सकते हैं। इसलिए हमें मानसिक समस्या पर खुलकर बात करनी चाहिए। इसके समाधान के लिए आगे आना चाहिए। हमारा व्यक्तित्व कैसा होना चहिए, यह हमारी मानसिक स्थिति पर ही निर्भर करता है। इसलिए अपनी सोच को सकारात्मक बनाए रखें।

बच्चों में परिवर्तन दिखे तो परामर्श लें

दिशा गाइडेंस एवं करियर काउंसलिंग की काउंसलर डा. एलएम जोशी ने बताया कि अगर आपमें या आपको बच्चों के व्यवहार में किसी तरह का परिवर्तन दिखाई दे तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए। अगर दिक्कत ज्यादा महसूस होने लगे तो मनोचिकित्सक व मनोविज्ञानी से परामर्श लेना चाहिए। समय पर ध्यान देंगे तो अधिकांश मानसिक समस्याएं दूर हो जाती हैं। विद्यालयों में भी समय-समय पर मानसिक स्वास्थ्य परीक्षण होना चाहिए।

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