आदिवासी शरणम् शाह…सत्ता की राह! कितना रंग लाएगी बीजेपी की ये 2023 के पहले की कोशिश?

पिछले 8 महीने की ये तीन तस्वीरें साफ-साफ इशारा कर रही हैं कि मिशन 2023 के लिए बीजेपी का एजेंडा क्या है? 17 दिसंबर 2021 को राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस पर अमित शाह का जबलपुर दौरा। 15 नवंबर 2021 को आदिवासी गौरव दिवस में पीएम मोदी का शामिल होना और अब अमित शाह का दौरा। बीजेपी ये संदेश देने की कोशिश कर रही है कि वो आदिवासियों की सबसे बड़ी हितैषी है। अमित शाह भोपाल में साढ़े 8 घंटा से ज्यादा देर तक रूके। कई कार्यक्रमों में शिरकत करते हुए बीजेपी सरकार की तारीफ की।

अमित शाह ने भोपाल में रोड शो के बहाने बीजेपी की ना केवल अपनी ताकत का अहसास कराया बल्कि कार्यकर्ताओ में उत्साह भरने की कोशिश की। अमित शाह प्रदेश कार्यालय में करीब एक घंटे तक रुककर प्रदेश के मंत्रियों, पदाधिकारियों और पार्टी के नेताओं की अनौपचारिक बैठक की। एक ओर बीजेपी ये संदेश देने की कोशिश कर रही है कि आदिवासी वर्ग की सबसे बड़ी हितैषी पार्टी सिर्फ बीजेपी ही है। हालांकि कांग्रेस अमित शाह के दौरे को लेकर सवाल उठा रही है।

दरअसल इस पूरी कवायद के पीछे एमपी में करीब 22 फीसदी आदिवासी वोटर्स हैं, जो 2018 में बीजेपी को छोड़कर कांग्रेस के पाले में चली गई थी और आदिवासियों के लिए रिजर्व 47 सीट में से सिर्फ 16 सीट ही बीजेपी जीत पाई थी जबकि 2013 में बीजेपी के पास 32 सीटें थी। राजनीति में आधुनिक चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह के इस दौरे के साथ बीजेपी ने आदिवासी वोटरों को अपने पाले में लाने की कोशिश शुरू कर दी है। अब देखना है कि 2023 के पहले बीजेपी की कोशिश कितनी रंग लाती है?

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