
उगता सूरज की धमक ने दोनों प्रत्याशियों के समीकरण को बुरी तरह से बिगड़ा
रायगढ़।। वार्ड क्रमांक 27 में हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस भाजपा के अलावा उगता सूरज की धमक ने दोनों प्रत्याशियों के समीकरण को बुरी तरह बिगाड़ दिया है डोर टू डोर कैंपेन में निर्दलीय के प्रति भी लोग विश्वास और गंभीरता दिखा रहे हैं ऐसे में लगता है कि चुनाव परिणाम अप्रत्याशित हो सकता है।
सूत्रों के अनुसार भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी सविता राजेंद्र ठाकुर एवं कांग्रेस प्रत्याशी श्रीमती रानी अशोक सोनी द्वारा जब नामांकन फार्म भरा गया था तब यह लग रहा था कि चुनाव दोनों के बीच ही होगा मगर वार्ड वासियों द्वारा उगता सूरज की कुमारी योगेश्वरी कुर्रे द्वारा सघन जनसंपर्क से वार्ड में त्रिकोणी संघर्ष की स्थिति दिख रही है मतदान में सिर्फ 24 घंटे शेष हैं सभी प्रत्याशियों ने अब डोर टू डोर कैंपेन प्रारंभ कर दिया है स्वच्छ छवि और परिवर्तन की आंधी में इस बार वार्ड 27 में चौकानेवाले परिणाम आ सकते हैं क्योंकि सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के असंतुष्ट गुट द्वारा जब यह योगेश्वरी कुर्रे को चुनाव में खड़ा किया गया था तब लग रहा था कि सिर्फ खानापूर्ति हेतु उन्हें चुनाव लगाया जा रहा है परंतु सभी राजनीतिक पंडितों के आकलन को धता बताते हुए उगता सूरज ने वार्ड 27 में अपने शानदार चमक बना रखी है भाजपा कांग्रेस के अलावा लोगों को एक साफ-सुथरा विकल्प मिलने से जनता का आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है।
भले ही धन बल एवं जन बल के शक्ति प्रदर्शन में उगता सूरज प्रभावी प्रदर्शन नहीं कर पा रहा हो लेकिन जनता के आशीर्वाद में कोई कमी नहीं है वार्ड वासियों कहना है कि हमें एक सक्रिय एवं साफ सुथरा जनप्रतिनिधि चाहिए जो जनता की मूलभूत समस्याओं को दूर कर सके उनके लिए संघर्ष कर सके और उसकी भरपाई सिर्फ योगेश्वरी कुर्रे ही कर सकती हैं। पढ़ी-लिखी महिला होने का भी लाभ मिल रहा है। चुनाव में परिणाम में कुछ भी हो सकता है क्योंकि जनता ने अभी खामोशी ओढ़ ली है। कोई भी पल्ला स्पष्ट नजर नजर नहीं आ रहा है ऐसी स्थिति में कोई चमत्कार हो जाए तो इससे इनकार नहीं किया जा सकता है।नगर निगम रायगढ़ के वार्ड क्रमांक 27 का उपचुनाव आज प्रचार के अंतिम दिन तक त्रिकोणीय हो चुका है। मामला कांग्रेस और भाजपा के साथ निर्दलीय प्रत्याशी के बीच कड़ा मुकाबला होता नजर आ रहा है। ऐसे में किधर बाजी पलटेगी कहना मुश्किल है। राजनीतिक पंडित भी कोई कयास नहीं निकाल पा रहे हैं।
वार्ड के पूर्व पार्षद स्व संजना शर्मा के मृत्यु के बाद यहां उपचुनाव करवाया जा रहा है। पिछले चुनाव में कांग्रेस से मात खाए सरिता राजेंद्र ठाकुर पर फिर से भाजपा ने दांव खेला है वहीं कांग्रेस ने यहां से रानी सोनी को टिकट दिया है। रानी सोनी के पति अशोक सोनी निष्ठावान कांग्रेस कार्यकर्ता रहे हैं और उनका केबल का काम भी मुहल्ले में है। ऐसे में कांग्रेस ने उन्हें इसबार मौका दिया है। जनता कांग्रेस से रोमा राय और बसपा से प्रेम कुमारी को टिकट दी गई है वहीं स्थानीय आंगनबाड़ी कार्यकर्ता योगेश्वरी निर्दलीय से मैदान में है। इसे पहले योगेश्वरी ने कांग्रेस से भी टिकट की मांग की थी। उसके साथ कांग्रेस समर्थकों का बड़ा हिस्सा था लेकिन पार्टी से टिकट न मिलने पर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लडने का फैसला किया था। हालांकि उन्हें चुनाव से हटाने दोनों बड़ी पार्टियों ने कोशिश की थी लेकिन वे चुनाव लडने के अपने फैसले पर अड़ी रही।
शुरुआती दिनों तक यही लग रहा था की मामला कांग्रेस भाजपा के बीच टक्कर का रहेगा लेकिन इस बीच वार्ड के ही भरत कुमार दुबे ने निर्दलीय प्रत्याशी को अपना समर्थन दे दिया। भरत इससे पहले वार्ड पार्षद का चुनाव लड़ चुके हैं और बहुत ही कम अंतराल से चुनाव में पीछे रह गए थे। उन्होंने इस बार निर्दलीय प्रत्याशी को अपना समर्थन दे दिया है।
अबतक प्रचार में पीछे चल रही योगेश्वरी ने 6 दिनों में काफी कवर किया और तेजी से आगे बढ़ी। जो लोग पार्टी से ज्यादा व्यक्ति को तरजीह देने वाले हैं या दोनो पार्टी को वोट नहीं देना चाहते हैं उनमें से ज्यादातर इस प्रत्याशी को सपोर्ट करते नजर आ रहे हैं। हालांकि वार्ड चुनाव व्यक्तिगत छवि पर ज्यादा लड़ी जाती है पार्टीगत बाते सामान्यतः गौण होती है ऐसे में छवि की बात जाय तो कांग्रेस प्रत्याशी और निर्दलीय प्रत्याशी की छवि में नकारात्मक चीजें अभी तक नहीं कही गई है। राजेंद्र ठाकुर एक बार इस वार्ड के पार्षद रह चुके हैं ऐसे उनके कई लोग चाहने वाले भी होंगे और उनके पूर्व के किए गए काम चुनाव में अहम भूमिका निभाएंगे।
यह चुनाव भाजपा और कांग्रेस के लिए जहां नाक का सवाल बन गया है वहीं योगेश्वरी के कारण उनकी मुश्किलें बढ़ गई है। वार्ड को 6 भागों में यदि बांटा जाए तो सिर्फ एक भाग में ही भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला है जहां मतदाता बहुत ज्यादा नहीं है वहीं 4 जगह निर्दलीय और भाजपा या कांग्रेस के बीच फंस रहा है। ऐसे में चुनाव में किसी अप्रत्याशित उलटफेर की भी संभावना बनी हुई है।