छत्तीसगढ़न्यूज़

एलॅन्स पब्लिक स्कूल में मनाई गई महावीर जयंती

दिनेश दुबे 9425523686
आप की आवाज
एलॅन्स पब्लिक स्कूल में महावीर जयंती मनाई गई
बेमेतरा = एलॅन्स पब्लिक स्कूल में महावीर जयंती का पर्व दिनांक 04 अप्रैल 2023 को मनाया गया। जैन धर्म के संस्थापक, महावीर जैन का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की 13वीं तिथि को 599 ईसा पूर्व में बिहार राज्य के वैशाली जिले के पास कुंडाग्राम में हुआ था। महावीर जयंती जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर की जयंती है। उन्हें एक शिक्षक के रूप में जाना जाता है जो जैन धर्म में धर्म का प्रचार करते हैं। महावीर जयंती जैनियों के लिए सबसे शुभ दिन है। जैन धर्म के अंतिम आध्यात्मिक शिक्षक की याद में जैन समुदाय द्वारा दुनिया भर में यह दिन मनाया जाता है।
महावीर जैन की शिक्षाओं पर भाषण देने वाले विद्यार्थी चारुशिला सोम, विनीता पोंगारे, श्रेया परिहार, नवप्रीत कौर उबेजा, साक्षी सिंह, रूपांशु कुमार आनंद, सुशील और विकास ने कार्यक्रम में भाग लिया और इन छात्रों ने महावीर जैन की कहानियों और बचपन से दिगंबर तक के संदेश को याद करते हुए बात की। महावीर जैन की शिक्षाओं के बारे में प्रश्नावली में उत्कर्ष घृतलहरे, लोरिना, नेहा पैकरा और रिया टंडन को सर्वश्रेष्ठ विजेता के रूप में चुना गया।
*प्राचार्य डॉ. सत्यजीत होता ने छात्रों को महावीर जैन की शिक्षाओं के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया आतंकवाद से पीड़ित है। इसका मूल कारण हिंसा है, इसे केवल अहिंसा का मार्ग चुनकर ही रोका जा सकता है। हिंसा का परिणाम मानवता के लिए विनाशकारी है। उन्होंने कहा कि परम गुरु महावीर जैन ने जो तपस्या और त्याग दिया है, उसका पालन करें। उन्होंने यह भी कहा कि जे.सी. बोस, अल्बर्ट आइंस्टीन और राजा चंद्रगुप्त मौर्य भी महावीर जैन से प्रभावित थे। उन्होंने महावीर द्वारा दिए गए जैन धर्म के सिद्धांतों के बारे में भी बताया कि अहिंसा,  सत्य, अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्मचर्य (पवित्रता), और अपरिग्रह (अनासक्ति) के व्रतों का पालन करना आध्यात्मिक मुक्ति के लिए आवश्यक है। उन्होंने समाज के आर्थिक विकास के लिए अहिंसा, साधनों की शुद्धता, नैतिक मूल्यों का विनास न होने और स्वार्थ की मर्यादा के लिए जैन धर्म के मार्ग पर चलने को भी कहा। प्रत्येक समाज को यह जांच करनी चाहिए कि क्या आर्थिक विकास अधिक हिंसा की ओर ले जा रहा है और क्या यह नैतिक साधनों के माध्यम से प्राप्त किया जा रहा है। करुणा का विकास आर्थिक विकास के साथ गति से होना चाहिए। यदि नहीं, तो मनुष्य क्रूर तरीकों से धन इकट्ठा कर सकता है, जिससे विकास तो होगा, लेकिन लाखों लोग दरिद्र हो जाएंगे। साधनों की पवित्रता जैन धर्म के अनुसार जब शांति ही समाज का प्राथमिक लक्ष्य बन जाती है तो साधनों की पवित्रता भी सर्वोच्च हो जाती है। अत: एक विकसित समाज का हिस्सा बनने के लिए मनुष्य को केवल इच्छाओं को नियंत्रित करने पर विचार नहीं करना चाहिए, बल्कि आय और धन कमाने के साधनों की शुद्धता का भी ध्यान रखना चाहिए। यह सिद्धांत आधुनिक अर्थशास्त्र में अनुपस्थित है जो विकास के साधनों के लिए किसी नैतिक सिद्धांत को नहीं मानता है। उन्होंने इस अवसर पर सभी को महावीर जयंती की शुभकामनाएं भी दी।
विश्व की शांति और सदभावना के लिए महावीर जैन से दो मिनट की प्रार्थना की गई।
इस अवसर पर कमलजीत अरोरा, अध्यक्ष, पुष्कल अरोरा, निदेशक, सुनील शर्मा, प्रशासक, शिक्षक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button