कोरोना संकट 2.0: एक और लॉकडाउन का बोझ नहीं उठा सकता उद्योग क्षेत्र, निर्यात में 12 फीसदी तक की आई कमी

देश का औद्योगिक क्षेत्र एक और फुल लॉकडाउन का बोझ सहने की स्थिति में नहीं है। अगर सरकार लॉकडाउन एक या दो की तरह पूरे देश में पूरी तरह लॉकडाउन लगाने का निर्णय लेती है तो इससे अर्थव्यवस्था पर भारी संकट आ जायेगा, जिसका नुकसान सहना किसी भी क्षेत्र के लिए संभव नहीं होगा, इसलिए औद्योगिक क्षेत्र देश में पूर्ण लॉकडाउन लगाने के पक्ष में नहीं हैं। हालांकि, औद्योगिक क्षेत्र के शीर्ष संगठनों का कहना है कि आंशिक लॉकडाउन या सप्ताहांत लॉकडाउन से औद्योगिक क्षेत्र में उत्पादन प्रभावित नहीं होता है, इसलिए इसके जारी रखने में कोई परेशानी नहीं है।

 

देश का औद्योगिक क्षेत्र एक और फुल लॉकडाउन का बोझ सहने की स्थिति में नहीं है। अगर सरकार लॉकडाउन एक या दो की तरह पूरे देश में पूरी तरह लॉकडाउन लगाने का निर्णय लेती है तो इससे अर्थव्यवस्था पर भारी संकट आ जायेगा, जिसका नुकसान सहना किसी भी क्षेत्र के लिए संभव नहीं होगा, इसलिए औद्योगिक क्षेत्र देश में पूर्ण लॉकडाउन लगाने के पक्ष में नहीं हैं। हालांकि, औद्योगिक क्षेत्र के शीर्ष संगठनों का कहना है कि आंशिक लॉकडाउन या सप्ताहांत लॉकडाउन से औद्योगिक क्षेत्र में उत्पादन प्रभावित नहीं होता है, इसलिए इसके जारी रखने में कोई परेशानी नहीं है।
कोविड 2.0 पूरी दुनिया में तेजी से कहर बरपा रहा है। इसके कारण लाखों लोग कोरोना की चपेट में आये हैं तो हजारों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। अमेरिकी, यूरोपीय और अरब देशों में अनेक जगहों पर इसके कारण दोबारा पूर्ण लॉकडाउन लगाना पड़ा है। विदेश के इस लॉकडाउन का सीधा असर देश के निर्यात क्षेत्र पर पड़ा है। कई प्रमुख वस्तुओं के एक्सपोर्ट में 10 से 12 फीसदी की भारी कमी दर्ज की गई है। इसमें खाद्य आपूर्ति से जुड़ी चीजों के साथ-साथ कपड़ा, मशीनों, क्रॉकरी, आभूषण और अन्य उत्पाद शामिल हैं। इस दौरान भी पिछली बार की तरह स्वास्थ्य से जुड़ी वस्तुओं के उत्पादन वाले क्षेत्रों में कुछ बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
उत्पादन संभालकर रखना बड़ी चुनौती
पीएचडी चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के सेक्रेटरी जनरल सौरभ सान्याल ने अमर उजाला से कहा कि देश की आर्थिक स्थिति एक और लॉकडाउन का बोझ उठाने की स्थिति में नहीं है। इसलिए सरकार को वैकल्पिक उपायों और लोगों के सहयोग से ही कोरोना पर काबू पाने की कोशिश करनी चाहिए।

औद्योगिक क्षेत्रों को कोरोना 1.0 के समय से ही श्रमिकों की कमी से जूझना पड़ रहा है। बीच में कुछ सुधार आया था, लेकिन मुंबई जैसे औद्योगिक क्षेत्रों से इसी समय श्रमिकों के पलायन की खबरें आनी रू हो गई हैं। अगर सरकार ने पूर्ण लॉकडाउन का निर्णय किया तो इससे श्रमिकों में पलायन तेज हो सकता है और औद्योगिक उत्पादन ठप हो सकता है जिसे संभालना संभव नहीं रह जाएगा।

देश का औद्योगिक क्षेत्र एक और फुल लॉकडाउन का बोझ सहने की स्थिति में नहीं है। अगर सरकार लॉकडाउन एक या दो की तरह पूरे देश में पूरी तरह लॉकडाउन लगाने का निर्णय लेती है तो इससे अर्थव्यवस्था पर भारी संकट आ जायेगा, जिसका नुकसान सहना किसी भी क्षेत्र के लिए संभव नहीं होगा, इसलिए औद्योगिक क्षेत्र देश में पूर्ण लॉकडाउन लगाने के पक्ष में नहीं हैं। हालांकि, औद्योगिक क्षेत्र के शीर्ष संगठनों का कहना है कि आंशिक लॉकडाउन या सप्ताहांत लॉकडाउन से औद्योगिक क्षेत्र में उत्पादन प्रभावित नहीं होता है, इसलिए इसके जारी रखने में कोई परेशानी नहीं है।
कोविड 2.0 पूरी दुनिया में तेजी से कहर बरपा रहा है। इसके कारण लाखों लोग कोरोना की चपेट में आये हैं तो हजारों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। अमेरिकी, यूरोपीय और अरब देशों में अनेक जगहों पर इसके कारण दोबारा पूर्ण लॉकडाउन लगाना पड़ा है। विदेश के इस लॉकडाउन का सीधा असर देश के निर्यात क्षेत्र पर पड़ा है। कई प्रमुख वस्तुओं के एक्सपोर्ट में 10 से 12 फीसदी की भारी कमी दर्ज की गई है। इसमें खाद्य आपूर्ति से जुड़ी चीजों के साथ-साथ कपड़ा, मशीनों, क्रॉकरी, आभूषण और अन्य उत्पाद शामिल हैं। इस दौरान भी पिछली बार की तरह स्वास्थ्य से जुड़ी वस्तुओं के उत्पादन वाले क्षेत्रों में कुछ बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
उत्पादन संभालकर रखना बड़ी चुनौती
पीएचडी चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के सेक्रेटरी जनरल सौरभ सान्याल ने अमर उजाला से कहा कि देश की आर्थिक स्थिति एक और लॉकडाउन का बोझ उठाने की स्थिति में नहीं है। इसलिए सरकार को वैकल्पिक उपायों और लोगों के सहयोग से ही कोरोना पर काबू पाने की कोशिश करनी चाहिए।

औद्योगिक क्षेत्रों को कोरोना 1.0 के समय से ही श्रमिकों की कमी से जूझना पड़ रहा है। बीच में कुछ सुधार आया था, लेकिन मुंबई जैसे औद्योगिक क्षेत्रों से इसी समय श्रमिकों के पलायन की खबरें आनी रू हो गई हैं। अगर सरकार ने पूर्ण लॉकडाउन का निर्णय किया तो इससे श्रमिकों में पलायन तेज हो सकता है और औद्योगिक उत्पादन ठप हो सकता है जिसे संभालना संभव नहीं रह जाएगा।
कच्चे माल की आपूर्ति में अभी कमी नहीं
मुंबई जैसे औद्योगिक क्षेत्र में आंशिक लॉक डाउन लगाया जा चुका है। यहीं की कंपनियों से बनने वाली मशीनों और कच्चे माल से उत्तर भारत के औद्योगिक क्षेत्र चलते हैं। अभी मुंबई में आंशिक लॉक डाउन ही लगाया गया है, इसलिए अभी कच्चे माल की आपूर्ति में कमी नहीं आई है, लेकिन अगर यह लॉकडाउन लंबा खिंचता है तो उद्योगों पर इसका असर पड़ सकता है।
काम के तरीके में करें बदलाव
औद्योगिक क्षेत्रों में उत्पादन प्रभावित न हो, इसके लिए कुछ अहम बदलाव किये जा सकते हैं। जैसे एक कंपनी में एक साथ काम करने वालों को आवश्यकतानुसार छोटे समूहों में बांटकर काम जारी रखा जा सकता है। जिन सेवाओं के कर्मचारियों से वर्क फ्रॉम होम मॉडल से काम लिया जा सकता है, उनसे इसी मॉडल में आगे काम कराया जाना चाहिए।

किसी भी श्रेणी के श्रमिकों में छंटनी की कोशिश नहीं की जानी चाहिए, अगर आवश्यक हो तो कंपनी की आवश्यकतानुसार कर्मचारियों की भूमिका में बदलाव किया जा सकता है।

इसी दौरान वैक्सीनेशन तेज कर अपनी कंपनी के सभी कर्मचारियों को ज्यादा से ज्यादा वैक्सीन लगवाने की कोशिश की जानी चाहिए जिससे उनके अंदर संक्रमण का भय न रहे और वे कोरोना की सावधानियों के साथ खुलकर काम कर सकें।
कोविड-1.0 से ही बुरे हालात
एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन नोएडा के अध्यक्ष सुरेन्द्र नाहटा ने कहा कि नोएडा औद्योगिक क्षेत्र में 10 हजार से ज्यादा कंपनियां काम करती हैं। इनमें लगभग 3000 कंपनियां सीधे तौर पर विदेश निर्यात क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं। लेकिन ये सभी कंपनियां कोरोना 1.0 के समय से ही भारी दबाव में हैं। निर्यात में कमी, केंद्र सरकार से अपेक्षित सहयोग के न मिलने और कच्चे माल के मूल्यों में 150-200 फीसदी से ज्यादा तक की बढ़ोतरी ने क्षेत्र की कमर तोड़ दी है।

क्षेत्र में श्रमिकों की उपलब्धता की स्थिति में भी अभी तक कोई सुधार नहीं आया है। अगर पूर्ण लॉकडाउन का निर्णय लिया गया और श्रमिकों का तेज पलायन हुआ तो क्षेत्र को भारी नुकसान हो सकता है।

 

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