तमनार जनपद पंचायत का अजीबो गरीब मामला,वन विभाग कार्यालय की बाउंड्री से होकर सड़क बनाने जनपद पंचायत उतावला,


बिना सोचे समझे बिना प्लानिंग के सड़क की दे दी स्वीकृति,
अब मामला उलझा वन विभाग ने बाउंड्री से सड़क निकालने साफ कर दिया मना,
तमनार।

आए दिन विवादों में घिरे रहने वाले जनपद पंचायत तमनार में फिर एक मामला सामने आया है जहां वन भूमि पर मनरेगा से सड़क निर्माण करने की स्वीकृति दी गई है । जिस जगह पर सालों से वन विभाग के बाउंड्री से लगी हुई है।
दरअसल जनपद पंचायत द्वारा बिना सोचे समझे सड़क के लिए राशि स्वीकृत कर दिया और अब जिस जगह से होकर सड़क बनना है वह पहले से सड़क मार्ग के रूप में उपयोग में ही नहीं है। इससे जाहिर होता है की जनपद पंचायत द्वारा मनमानी तरीके से काम किया जा रहा है। कहा तो यहां तक जा रहा है की जनपद पंचायत को जहां काम करना चाहिए उस पर आंखे मूंदे हुए है और भ्रष्टाचार के नए नए तरीकों को इजाद कर रही है। दरअसल जनपद पंचायत द्वारा वन विभाग के कब्जे और बाउंड्री वॉल से होकर सड़क निकाल पक्की सड़क बनाने भारी भरकम बजट स्वीकृत किया है जिस पर वन विभाग द्वारा आपत्ति जताते हुए वन विभाग के कब्जे और बाउंड्री वॉल से होकर सड़क निर्माण नहीं कराने दो टूक में जवाब दे दिया है।

उक्त भूमि पर वन विभाग का पहले से ही बाउंड्री वॉल का चल रहा है उससे पहले वहां तार से बाउंड्री वॉल की गई थी। वन विभाग की उक्त भूमि पर विगत 70- 80 वर्षों से काबिज होना बताया जा रहा है। जनपद पंचायत में स्वीकृत कार्य से पहले उक्त भूमि पर वन विभाग द्वारा कार्य स्वीकृत कर प्रारंभ भी की गई थी जो पूर्णता की ओर है। जनपद पंचायत के अधिकारी आरोप लगा रहे हैं कि वन विभाग द्वारा हमें कार्य नहीं करने दी जा रही है तो वही वन विभाग के अधिकारी आरोप लगा रहे हैं कि जनपद पंचायत द्वारा जबरन हमारे वन विभाग के भूमि पर अवैध रूप से कार्य स्वीकृत कर कार्य कराए जाने की बात कर रहे हैं। अब देखना यह होगा की कौन सा विभाग सही है और कौन सा विभाग गलत है। हालांकि जनपद पंचायत द्वारा उक्त भूमि पर स्वीकृत कराने पूर्व पटवारी द्वारा स्थल निरीक्षण नहीं की गई थी । बासनपली पंचायत अपने मनमाने ढंग से उक्त भूमि पर कार्य स्वीकृत कराकर निर्माण करने की प्रयास की गई थी। आखिर जनपद पंचायत द्वारा उक्त भूमि पर कार्य स्वीकृत कराने पूर्व स्थल निरीक्षण क्यों नहीं की गई यह सोचने वाली बात है या फिर यह भी एक भ्रष्टाचार का हिस्सा बनने वाला था अब देखना यह होगा की अधिकारी कर्मचारियों पर क्या कार्यवाही की जाती है या फिर लीपापोती कर मामला ठंडे बस्ते में डाल दी जाएगी।

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