
धरमजयगढ़। बीती रात धनपुरी गांव में वह मंजर किसी फिल्मी दृश्य से कम नहीं था। गहरी नींद में सोया गांव अचानक गड़गड़ाहट से कांप उठा। रात का सन्नाटा हाथी की दहाड़ जैसी चिंगाड़ से टूटा और देखते ही देखते बुधनाथ मांझी का घर किसी खलनायक के हाथों तबाह किए सेट की तरह ढह गया।
मिली जानकारी अनुसार परिवारवालों ने समझदारी दिखाते हुए घर छोड़कर पड़ोस की गली में शरण ली, वरना कहानी कुछ और ही होती। मगर अकेला हाथी बिना किसी रोक-टोक के घर के भीतर घुस आया, दीवारें तोड़ीं, बांस-खपरे का सहारा ढहा दिया और फिर नायक की जीत की तरह पूरे घर में रखा धान साफ कर गया।
और वहीं सुबह तक गांव में सन्नाटा पसरा रहा, मानो पूरी बस्ती एक अनहोनी फिल्म का हिस्सा बनी हो। घटना की खबर मिलते ही क्षेत्रीय बीडीसी जनकराम राठिया मौके पर पहुंचे और तुरंत वन विभाग की टीम को बुलवाया। अधिकारियों ने स्थिति संभालते हुए ग्रामीणों को चेतावनी दी—“सतर्क रहिए, हाथी फिर लौट सकता है।”
मामले में हमने संबंधित बीट गार्ड समीर तिर्की से जानकारी चाही उन्होंने बताया कि घटना समय लगभग 1:30 बजे रात्रि का है, वनपरिक्षेत्र बाकारूमा के साजापाली आरएफ क्रमांक 84 का है, जहां पर बुधनाथ मांझी का घर को तोड़कर तहस नहस किया और घर में रखे धान को खा गया है। हमने उच्च अधिकारियों के मार्गदर्शन में तत्काल मौके पर पहुंचे और मुआयना जांच कार्रवाई की है, फिलहाल ग्रामीणों को सतर्कता बरतने की अपील करते हुए,हाथी की जानकारी मिलने पर तत्काल सुचित करने की बात कही गई है।
लेकिन वहीं धनपुरी गांव की यह घटना एक बार फिर साबित कर गई कि जंगल के असली बादशाह जब बस्ती की ओर बढ़ते हैं, तो इंसानी घरौंदे पलक झपकते ही मलबे में बदल जाते हैं।
