धर्मांतरण के खिलाफ कानून पर येदियुरप्पा ने कांग्रेस-JDS से मांगा समर्थन, डीके शिवकुमार ने फाड़ दिया बिल

कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने मंगलवार को राज्य विधानसभा में विरोधी विवादास्पद विधेयक पेश किया। इसके बाद आज कर्नाटक विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। अध्यक्ष ने घोषणा की कि उन्होंने सरकार को प्रक्रिया के अनुसार विधेयक पेश करने की अनुमति दी है और इसे बुधवार को विधानसभा में चर्चा के लिए लिया जाएगा।

विधेयक पेश किए जाने के बाद, कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने सदन के पटल पर बिल को फाड़ दिया और कांग्रेस विधायकों ने वाकआउट किया। कांग्रेस राज्य में इस बिल का विरोध करती रही है।

डीके शिवकुमार ने कहा, “बिल को फाड़ना मेरा अधिकार है, उन्हें वह करने दें जो वे चाहते हैं। यह बिल संविधान के खिलाफ है। यह सिर्फ अल्पसंख्यकों को ब्लैकमेल और परेशान करने के लिए है। सभी को अपने धर्म का प्रचार करने का अधिकार है। कांग्रेस इस बिल का विरोध करेगी और जब कांग्रेस पार्टी सत्ता में आएगी तो हम इसे उलट देंगे।”

येदियुरप्पा ने कांग्रेस और जेडीएस से मांगा समर्थन
भाजपा के वरष्ठि नेता बीएस येदियुरप्पा ने मंगलवार को कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर (JDS) से आगामीके दौरान धर्मांतरण रोधी विधेयक को सर्वसम्मति से पास करने का निवेदन किया। उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, ”कई राज्य इसपर कानून बना चुके हैं। यह नया नहीं हैं। सभी लोग चाहते हैं कि धर्मांतरण को रोका जाए। मैं कांग्रेस और जेडीएस से निवेदन करता हूं कि इस विधेयक का विरोध ना करें और सदन में इसको सर्वसम्मती से पास करवाएं।”

उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि यह विधेयक सदन से पास होगा और सरकार इसपर कई नेताओं की राय ली है। वहीं, कर्नाटक के गृहमंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने कहा कि किसी भी इस विधेयक से डरने की जरुरत नहीं हैं।

कुमारस्वामी ने भी किया विधेयक का विरोध
वहीं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने कहा है कि पार्टी इस विधेयक का समर्थन नहीं करेगी क्योंकि इसकी कोई जरुरत नहीं है। जेडीएस ने इस विधेयक को विरोध करने का फैसला किया है। कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने कहा कि इस विधेयक की कोई जरुरत नहीं है, क्योंकि जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए पहले से ही कानून है। यह कानून एक खास धर्म को निशाना बनाने के लिए लाया जा रहा है।

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