पीडीएस चावल वितरण में हो रहा कटौतीनहीँ मिल रहा गरीबो को उनके हक का चावल

महीना बितने को और अभी भी कई पंचायतो में नहीँ हुआ चावल वितरण
अति गरीबी वाले कार्डधारी दाने दाने को हो रहे मोहताज

तमनार: एक तरफ केंद्र और राज्य सरकार लोगों मुफ्त चावल बांटने का ढिंढोरा पीट रहे हैं। दूसरी तरफ रायगढ़ जिले के तमनार व लैलूंगा ब्लॉक में इस महीने का राशन वितरण में नही दी जा रही है गरीबो को उनके हक के चावल में भी कटौती कर वितरण की जा रही है । तमनार के कई पंचायतो में सेकड़ो घरों को राशन वितरण नहीं हो पाया है। सोसाइटी संचालक भंडारण नही होने की बात कह रहे है । दूसरी तरफ अफसर भी इस गंभीर समस्या को नजर अंदाज कर रहे हैं। सोसाइटी संचालक और प्रशासन के बीच नोकझोक के कारण ग्रामीणों को दाने- दाने के लिए मोहताज होना पड़ रहा है तो वही लेलूँगा में आबंटन से कम चावल दी जा रही है लोगो को जबकि तमनार में कुछ पंचायतो को छोड़ कर वितरण ही शुरू नही किया गया हे

इस मामले मे जब अफसरों से बात चीत की गई तो वे दावा कर रहे हैं कि कुछ दिनों में चावल का वितरण हो जाएगा लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां कर रही है, उचित मूल्य के दुकानदारों से बाचतीत करने पर बताया की आवश्यकतानुसार आबंटन नहीं भेजी गई है इस कारण वितरण नहीं किया जा रहा है।

इस महीना मिलना है दो माह का बोनस चावल

केंद्र सरकार कोरोनाकाल के समय से राज्य सरकार के अलावा अतिरिक्त चावल दे रही है , जिसे बोनस कहा जाता है, लेकिन यह चावल भी लोगों को नसीब नही है।

इस तरह मिलना है इस माह चावल

यदि किसी परिवार मे 5 सदस्य है तो उन्हें 35 किलो राज्यसरकार दे केंद्र सरकार का बोनस अक्टूबर 15 किलो नवंबर 15 कुलो मतलब कुल मिलाकर 65 किलो चावल मिलना है , लेकिन अब पंचायत मे मुल चावल देने के लिए चावल भी नही है।

सैकड़ो कुंटल के हेरा फेरी की बात निकल कर आ रही सामने

ग्रामीणों की माने तो यदि किसी पंचायत में 200 कुंटल चावल का भंडारा होना है तो केवल 20 कुंटल का भंडारण हुआ है क्योंकि 180 कुंटल सोसाइटी में भंडारण ऑनलाइन दिखा रहा है जोकि करीबन 2016-17 से अब तक का रिकॉर्ड है । लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बया कर रही है सोसाइटी में 80 तो क्या 8 कुंटल भी चावल नहीं है सारा चावल का हेरफेर संचालक कर चुके हैं जिसका खामियाजा अब बेबस ग्रामीण भुगत रहे हैं, सरकार भले ही अनेक योजना बनाती है और कोशिश करती है की उसका लाभ अंतिम व्यक्ति को मिले लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की सांठगांठ से लोग योजनाओं से वंचित रह जाते हैं और बदनामी सरकार की होती
अब देखने वाली बात यह होगी कि इस पर उच्चाधिकारियों द्वारा क्या जांच की जाएगी या यह मामला भी ठंडे बस्ते में डाल दी जाएगी

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