
सूरजपुर- आपकी-आवाज़/ मोहिबुल हसन(लोलो)……सुरजपुर जिले में स्थित संस्था शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला रूनियाडींह के प्रधान पाठक सीमांचल त्रिपाठी के द्वारा आए दिन राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार फ़ाइल को लेकर बाहर रहते हैं कभी सूरजपुर जिला शिक्षा अधिकारी के पास तो कभी अंबिकापुर साथ ही बच्चों को किसी भी बात को लेकर प्रताड़ित करते रहना, प्रधान पाठक का -ऐ-आदत बन चुका है ,इस संबंध में सूरजपुर जिला शिक्षा अधिकारी विनोद राय से मोबाइल के माध्यम से बात करने पर कहा गया कि मैंने कोई ऐसे कार्य में नहीं बुलाया है हां कभी-कभी राष्ट्रपति/राज्यपाल अवार्ड की फाइल व शिक्षक वर्ग को लेकर बीच-बीच में आते रहते हैं तभी इस संबंध में प्रधान पाठक सीमांचल त्रिपाठी से मोबाइल के द्वारा बात करने पर कहा गया कि जिला शिक्षा अधिकारी मुझे यह कह दे की मुझे ऑफिस में काम में नहीं बुलाया है तो मै जिला शिक्षा अधिकारी को वही चेंबर में पटक कर मारुंगा।
आप हमारे साथ आपिस चलिये, जहां सीमांचल त्रिपाठी प्रधान पाठक हैं, पुरस्कार पे पुरस्कार लिए जा रहे हैं लेकिन सच तो यह है कि शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला रूनियाडींह के दस प्रतिशत छात्र- छात्राओं को छोडकर आज तक यह मालूम नहीं है कि हमारे देश के राष्ट्रपति कौन हैं, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री कौन हैं ,यहां तक कि हमारे शिक्षा मंत्री कौन हैं, व जिला शिक्षा अधिकारी कौन है, उनका नाम क्या है । त्रिपाठी द्वारा राज्यपाल पुरस्कार भी ले चुके हैं।
साथ ही प्रधान पाठक के द्वारा पालकों को बार-बार स्कूल में बुलाना जिसे बच्चे मानसिक रूप से तनाव मे रहते है ।
पालक के नहीं आने पर टी.सी.काटने की धमकी दी जाती है।
कालखंड में कुछ बच्चों को बाहर बुलाकर किचन बागवानी में काम कराया जाता है व घास साफ कराया जाता है , शौचालय में फिनाइल व पानी डलवा कर साफ करवाना जिसे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होता है, मध्यान भोजन सहायिकाओं को स्कृल आने मे 5 मिंनट की भी देरी होने पर उन्हे काम से निकालने की धमकी दी जाती है ।
साथी साला पूर्व मे आए दिन प्रधान पाठक के द्वारा सहायिकाओं को प्रताड़ित किया जाता है यह कह कर कि आज पनीर बनाओ तो अण्डा बनाओ बाहर से लोगों को बुलाकर किसी भी कार्य में खाना बनवाना ऐसे कई कामों में उलझा कर तरह-तरह की धमकियां देना जिसे सहायिकाये बहुत आहत होते रहती हैं , तथा 4:00 बजे तक सहायिकाओं से काम लिया जाता है,
जब की ऐसा कही नही होता की सहायिका का काम की खाना बनाओं और खाना बनाकर बच्चो को खिलाओं और बर्तन साफ सफाई कर अपना घर जाओं लेकिन प्रधान पाठक के यहां ऐसा नहीं चलता इसी तरह गर्मी मे भी सहायिकाओं से काम लिया जाता रहा।
इस प्रधान पाठक से परिजन त्रस्त है साथ ही ग्राम वासियों का कहना है कि आए दिन प्रधान पाठक के द्वारा किसी ना किसी को बुलाकर स्कृल प्रागंण मे कार्यक्रम करवाया जाता है, जिसमें बच्चों का पढ़ाई स्तर बहुत कमजोर होता जा रहा है समूह वाले को रोज किसी ना किसी बहाने धमकाया जाता है और कहा जाता है की आप अगर नहीं सामान दोगे तो समूह बंद करके मेरे को दे दो मैं समूह चला कर बताऊंगा कि समूह में कितना पैसा बचता है। आगे यह देखना है कि शिक्षा अधिकारी के द्वारा इस प्रधान पाठक के विरोध क्या कार्यवाही की जाती है प्रधान पाठक को यथावत स्कूल में रखी जाती है। या उनके विरोध कोई कार्यवाही की जाती है ।