रेडी टू ईट निर्माण व्यवस्था में परिवर्तन का किया विरोध —

पखांजुर से बिप्लब कुण्डू–26.3.22

रेडी टू ईट निर्माण व्यवस्था में परिवर्तन का किया विरोध —

पखांजुर–
रेडी टू ईट निर्माण की व्यवस्था में परिवर्तन करने के फैसले को वापस लेने और महिला स्व सहायता समूह के माध्यम से ही रेडी टू ईट का निर्माण कराए जाने की मांग को लेकर समूह की महिलाओं ने एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया। रैली निकालकर उन्होंने अपनी मांगों को लेकर राज्यपाल के नाम ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपा।

जिलेभर की विभिन्न स्व सहायता समूह की महिलाओं ने शुक्रवार को कलेक्टोरेट मार्ग में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया। दोपहर लगभग ढाई बजे रैली निकाली गई। रैली के बाद कलेक्टोरेट रोड में समूह की ओर से राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा गया। प्रदर्शन कर रही स्व सहायता समूह की महिलाओं ने कहा कि छोटे बच्चों व माताओं के पोषण के लिए आंगनबाड़ीयों में प्रदाय किये जाने वाला रेडी टू ईट फूड का निर्माण व वितरण दिसम्बर 2009 से छत्तीसगढ़ के लगभग 2000 महिला स्व सहायता समूहों के माध्यम से किया जा रहा है।

जिसमें प्रत्यक्ष रूप से 20 से 25 हजार महिलाएं जुड़ी हुई है और इनमें से अधिकांशत गरीब, परित्यक्तता व विधवा महिलाएं हैं। उनके परिवार के लिये यह कार्य आजीविका का एक महत्वपूर्ण साधन बन गया है। इस कार्य के सहारे ही समूह की महिलाएं अपने परिवार का पालन पोषण कर रही हैं। जिसके चलते इस कार्य पर प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से आश्रित लोगों की संख्या एक लाख थे भी अधिक है।

यह कार्य महिला स्व सहायता समूहों से छिन लिया जाता है, तो इतनी बड़ी संख्या में लोगों के जीवन यापन की समस्या खड़ी हो जाएगी। वह महिलाएं जो इस कार्य में 50-60 वर्ष की उम्र में जुड़ी हुई थीं। आज उनकी उम्र 60-70 वर्ष हो गई है। कार्य के छिन जाने से इस उम्र में महिलाएं दूसरा कार्य नहीं कर सकेंगी।

सहायता समूहों ने 5 से 6 लाख तक का कर्ज बैंको से ले रखा है। कार्य के छिन जाने से महिलाएं इस कर्ज का भुगतान नहीं कर पाएंगी और सभी महिला स्व सहायता समूह डिफाल्टर हो जाएंगे। पिछले कई सालों से महिलाओं के द्वारा इस कार्य को बहुत शांतिपूर्वक ढंग से किया जा रहा है आज रेडी टू ईट फूड में उपयोग होने वाली सामग्रियों की कीमत लगभग दोगुनी हो गई है फिर भी महिलाओं ने रेट आदि के लिये सरकार के ऊपर कभी भी दबाव नहीं बनाया।

महिलाओं ने राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपकर अवगत कराया कि कार्य के छिन जाने से महिलाओं के सम्मुख व उनके परिवार के सम्मुख जीवन यापन की समस्या खड़ी हो जाएगी। बैंको का कर्ज कैसे चुकाएं इसकी चिंता भी बढ़ जाएगी और उनका व उनके परिवार का जीवन बर्बाद हो जाएगा। उन्होंने मांग की कि रेडी टू ईट फूड के निर्माण व वितरण के कार्य में लगी हुई महिलाओं की उपरोक्त परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए स्व सहायता समूह से कार्य बंद कराकर कृषि विभाग व बीज निगम को देने के फैसले को वापस लिया जाए। प्रदर्शन में बड़ी संख्या में समूह की महिलाएं शामिल हुईं।

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