शहीद वीर गेंदसिंह बाऊ की स्मृति में आजादी के अमृत महोत्सव में उमड़ा जनसैलाब—

पखांजूर से बिप्लब कुण्डू–22.8.22

शहीद वीर गेंदसिंह बाऊ की स्मृति में आजादी के अमृत महोत्सव में उमड़ा जनसैलाब—

पखांजूर,,,,
आदिमजाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान नवा रायपुर एवं जिला प्रशासन कांकेर छत्तीसगढ़ के तत्वावधान में छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम शहीद वीर गेंदसिंह बाऊ की स्मृति में उनके स्मारक स्थल पखांजूर में आजादी के अमृत महोत्सव अंतर्गत 75 वें स्वतंत्रता वर्षगांठ पर आभार आयोजन कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि अनुप नाग विधायक विधानसभा क्षेत्र अंतागढ़ एवं समस्त समाज प्रमुखों व प्रशासन द्वारा शहीद वीर गेंदसिंह बाऊ जी के मूर्ति पर माल्यार्पण किया गया।

गेंदसिंह बाऊ के वंशजों को किया गया

कार्यक्रम में शहीद गेंदसिंह बाऊ जी के वंशजों वर्तमान में सितरम, महाराष्ट्र के झाड़ापापड़ा, कांकेर, छोटेडोंगर में निवासरत को साल श्रीफल और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।

गेंदसिंह बाऊ के कर्मस्थल सितरम के लिए सामुदायिक एवं पानी टेंकर की घोषणा की–

मुख्य अतिथि अनुप नाग ने शहीद गेंदसिंह बाऊ जी के योगदान को बताते हुए समाज को एकजुट रहते हुए निरंतर समाज विकास में सहायक रहने कहा गया। सितरम के लिए सामुदायिक भवन एवं पानी टेंकर के लिए घोषणा किया गया।

शिवकुमार पात्र ने हल्बी में रखा अपना विचार—

अखिल भारतीय आदिवासी हल्बा समाज 18 गढ़ महासभा के अध्यक्ष शिवकुमार पात्र ने हल्बी में अपना विचार व्यक्त किया। उन्होंने जिस संकल्पना से गेंदसिंह बाऊ जी लोकहित में अंग्रेजों से लोहा लेते हुए अपने प्राण न्यौछावर किए ऐसे महान सपूत से हमें प्रेरणा लेकर सर्वहितकारी काम करना है।
शासन द्वारा ऐसे कार्यक्रम होते रहना चाहिए—

अखिल भारतीय आदिवासी हल्बा समाज के राष्ट्रीय महासचिव ओमकार सिंह जमदार ने शासन द्वारा किए जा रहे कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य के स्वतंत्रता संग्राम सेनानीयों की सम्मान में ऐसे कार्यक्रम निरंतर होते रहना चाहिए ताकि महापुरुषों के योगदान को लोग जाने समझे।

आदिवासी समाज प्रकृति के पूजक है—-

गांडा समाज के जिला सचिव अमृत लाल टांडिया ने कहा कि आदिवासी समाज प्रकृति के पूजक है नदी नाले पर्वत पहाड़ की पूजा करते हैं और संरक्षित करने में मदद करते हैं। वर्तमान में जल जंगल जमीन खतरे में है।

बंग समाज ने आदिवासी संस्कृति को समृद्धशाली संस्कृति बताया—-

बंग समाज प्रमुख तपन राय ने कहा कि परलकोट की माटी वीरों की खून से लथपथ है जिसके कारण ऐ मिट्टी अधिक उपयोगी है। आदिवासी समाज प्रकृति के पूजक है उनकी समृद्धशाली संस्कृति प्रकृति से जुड़ी है।

अपनी मातृभाषा, संस्कृति की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है—

गोंडी भाषा धर्माचार्य शेरसिंह आचला ने गोंडी, हल्बी, छत्तीसगढ़ी, हिंदी में उद्बोधन में देते हुए कहा कि वर्तमान में हमारे बोली, संस्कृति को लोग भुल रहे हैं। हम सभी की जिम्मेदारी है कि हमारी बोली संस्कृति की रक्षा करना है।

आवागमन, सुचना की साधन नहीं होते हुए भी लोगों को एक जुट किया––

कृष्णपाल राणा शोधकर्ता, साहित्यकार ने कहा कि परलकोट के भूमिया राजा गेंदसिंह बाऊ ने आजादी के लिए संघर्ष की शंखनाद की। परदेशी सभ्यता से खतरा को बचाने न आवागमन के साधन थी और न ही सुचना प्रोद्योगिकी बावजूद उन्होंने 165 गांव के लोगों को एक जुट किया और अपने अधिकार और लोगों को सुरक्षा मुहैया कर खुशहाल रखने अंग्रेजों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए।

सोनपुर क्षेत्र में है गैंदसिंह बाऊ के बैठने और रूकने की स्थल की पहचान–

सामाजिक कार्यकर्ता, शोधकर्ता, साहित्यकार भागेश्वर पात्र ने कहा कि परलकोट के भूमिया राजा गेंदसिंह बाऊ जब जगदलपुर राजाओं से मिलने जाते थे तो उस समय राजा सोनपुर क्षेत्र में रूकते थे, उनके रूकने, बैठने, घोड़े को बांधने की पहचान आज भी है। जिसकी संरक्षण की आवश्यकता है।

रामसिंह प्रधान ने कहा आदिवासीयों की अधिकार की रक्षा होनी चाहिए—-

रामसिंह प्रधान सचिव 32 गढ़ महासभा ने कहा कि आदिवासियों की अधिकारों को छिना जा रहा है। उसकी रक्षा होनी चाहिए।

गेंदसिंह बाऊ की शहादत हम सभी के लिए प्रेरणादायक–

राधेश्याम नायक अखिल भारतीय आदिवासी हल्बा समाज कर्मचारी प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि गेंदसिंह बाऊ जी की शहादत हम सभी के लिए प्रेरणादायक है। उनकी वीरगाथा सदैव अमर रहेगा।

गेंदसिंह बाऊ के जीवन पर आधारित नाटक का हुआ मंचन—

छत्तीसगढ़ फिल्म एंड विजुअल आर्ट सोसायटी जनमंच रायपुर द्वारा महानायक गैंदसिंह बाऊ की संघर्ष गाथा पर उनके योगदान को समर्पित नाटक का मंचन किया गया।

लोक संस्कृति पर हुई विविध कार्यक्रम—

हल्बा समाज की ओर से लोक संस्कृति पर विविध कार्यक्रम आयोजित किया गया। ग्राम बारदा, परतापुर, बेलगाल, बांगाचार, सोनपुर, नारायणपुर, बड़ेकापसी, भानुप्रतापपुर से दंतेश्वरी माता की आरती, धनकुल लोक गीत, सुआ नृत्य, सुआ गीत, डंडा नृत्य, एवं विभिन्न लोक नृत्य बस्तर की संस्कृति किया गया।

शुभकामनाएं देते हुए किया गया आभार–

श्रीकांत कसेर सहायक आयुक्त आदिवासी विकास शाखा कांकेर द्वारा कार्यक्रम की सफलता पर सभी को शुभकामनाएं देते हुए आभार व्यक्त किया गया।

इस अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य, महाराष्ट्र, उड़िसा के हल्बा समाज के हजारों लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम को सफल बनाने बसंत कुमार दुबे सहायक संचालक, लक्ष्मण खुड़श्याम, दामेसाय बघेल, हेमंत वैद्य, सोपसिंह नेताम, अनिल कोड़ोपी, दिनानाथ चुरेंद्र, महेश बघेल, राधे नाग, अरूण बघेल, करन नरवास, खगेन्द्र नरवास, अनिल कश्यप, अगिन नायक, निरशंकि बाऊ, फरसू राम बाऊ, हिरालाल मांझी, ज्ञानू राम भोयर, ईश्वर भंडारी, ढालसिंह पात्र, देवली नरेटी, गोड़ समाज, गांडा समाज, हल्बा, उरांव, बंगाली, केंवट, राऊत, साहू, कुम्हार, कलार समाज एवं सर्व समाज के लोग उपस्थित रहे। मंच का सफल संचालन कृष्णपाल राणा युवा प्रकोष्ठ अध्यक्ष, शोधकर्ता, साहित्यकार समाज सेवक द्वारा किया गया।

परलकोट ग्राम वर्तमान में है विरान–

शंभूनाथ नायक भूतपूर्व विधायक ने कहा कि परलकोट वर्तमान में विरान हैं। गेंदसिंह बाऊ जी की महल खंडहर है,

प्रति वर्ष लगता है परलकोट में मेला–

मंतूराम पवार भूतपूर्व विधायक ने कहा कि परलकोट में प्रति वर्ष रंगपंचमी में विशाल देव मेला लगता है। नारायणपुर, कांकेर जिले के साथ साथ महाराष्ट्र उड़िसा के लोग भी इस मेले में शामिल होते हैं। यहां माड़िया मोंगराज, जिमीदारिन माता, दंतेश्वरी माता, भीमा देव एवं अन्य देवी देवताओं की देव गुड़ी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button