सावन का आखिरी प्रदोष व्रत आज, जानें पूजा विधि और महत्व

सावन महीना 22 अगस्त को समाप्त हो रहा है. इससे पहले आज यानी 20 अगस्त को सावन का आखिरी व्रत प्रदोष व्रत रखा जाएगा. शुक्रवार को पड़ने के कारण इसे शुक्र प्रदोष व्रत भी कहा जाता है. वैसे तो पूरे सावन महीने ही खूब पूजा-पाठ और व्रत किए जाते हैं लेकिन प्रदोष व्रत का अफना खास महत्व होता है. प्रदोष व्रत हर माह की त्रयोदशी में पड़ता है. हर महीने दो प्रदोष व्रत होता है. लेकिन सावन माह में पड़ने वाला ये व्रत कई मायनों में खास होता है. इस व्रत को करने के कई कष्ट दूर होते है. प्रदोष व्रत में भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा की जाती है.

प्रदोष व्रत का महत्व- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत में भोलेनाथ और पार्वती की पूजा का खास महत्व होता है. प्रदोष काल में शिव पार्वती की पूजा करने से उनकी कृपा और आशीर्वाद बनी रहती है.कहा जाता है कि प्रदोष काल में की गई पूजा का फल शीघ्र मिलता है. इससे मनुष्य के जीवन में धन- धान्य, मान -प्रतिष्ठा , सुख-शांति बनी रहती है.

प्रदोष काल में पूजा के लिए मुहूर्त– वैसे तो सावन का पूरा महीना ही पूजा पाठ के लिए पवित्र माना जाता है. लेकिन फिर भी किसी विशेष पूजा को उत्तम मुहूर्त पर करना उचित माना जाता है. प्रदोष कास में भगवान शिव पार्वती की पूजा के लिए शाम को 06 बजकर 40 मिनट से रात 08 बजकर 57 मिनट तक समय शुभ है.

सावन प्रदोष व्रत तिथि और समय– सावन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 19 अगस्त को देर रात 12 बजकर 24 मिनट से शुरू हो चुती है. जोकि 20 अगस्त को रात 10 बजकर 20 मिनट तक रहेगी. इसलिए प्रदोष व्रत का उपवास 20 अगस्त को रखा जाएगा और इसी दिन पूजा भी की जाएगी.

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