
अनोखी ज़िंदगी जीने वाला एक असाधारण शख़्स
उनके बारे में जो लोग बता सकते थे, वे उनसे पहले ही इस दुनिया से चले गए. अब ड्यूक ऑफ़ एडिनबरा प्रिंस फ़िलिप की तस्वीर के दो पहलू ही हमारी यादों में रह गए हैं.
एक पहलू लोगों को चुभते चुटकुले सुनाते हुए पॉलिटिकली इनकरेक्ट बयान देने वाले शख़्स का था, तो दूसरा हमेशा इर्द-गिर्द मंडराते रहने वाले झक्की ताऊ का, जिसे सब प्यार तो करते हैं लेकिन, जो अक्सर ख़ुद को और अपने साथ के लोगों को शर्मसार करते रहते थे.
प्रिंस फ़िलिप अब इस दुनिया में नहीं रहे. ज़ाहिर है कि उनके निधन के साथ ही उनकी शख़्सियत का एक बार फिर आकलन होगा, क्योंकि उन्होंने एक असाधारण व्यक्ति के तौर पर असाधारण ज़िदगी बिताई है.
उनका जीवन उथल-पुथल भरी बीसवीं सदी में हो रहे बदलावों से गहरे तौर से जुड़ा था. प्रिंस की जिंदगी अद्भुत असमानताओं, विरोधाभासों, सेवा और कुछ हद तक अकेलेपन से भरी थी. प्रिंस एक पेचीदा, होशियार और हमेशा बेचैन रहने वाले शख़्स थे.
प्रिंस के माता और पिता की मुलाक़ात 1901 में क्वीन विक्टोरिया के अंतिम संस्कार के दौरान हुई थी. उस वक़्त यूरोप के सिर्फ़ चार देशों में ही राजशाही बची थी. उनके रिश्तेदार यूरोप के उन अलग-अलग राजघरानों में बिखरे हुए थे. कुछ राजघराने पहले विश्वयुद्ध की वजह से बिखर गए थे. लेकिन जहां प्रिंस फ़िलिप का जन्म हुआ था वहां अभी भी राजशाही का चलन बचा हुआ था. उनके दादा ग्रीस के राजा थे. उनके दादा की बहन ऐला को एक्तेरिबर्ग में बोल्शेविकों ने रूस के ज़ार के साथ मार डाला था. उनकी मां क्वीन विक्टोरिया की परपोती थीं.
उनकी चारों बहनों की शादी जर्मन नागरिकों से हुई थी. जब फ़िलिप ब्रिटेन की रॉयल नेवी की ओर से विश्वयुद्ध में लड़ रहे थे, तब उनकी बहनें जर्मन में नाज़ी हितों का खुलेआम समर्थन कर रही थीं. फ़िलिप की शादी में इनमें से किसी को भी नहीं बुलाया गया था.
जब लड़ाई ख़त्म हुई, देश में अमन-चैन लौटा और अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटने लगी तो उस दौरान फ़िलिप ने ख़ुद को एक बेहतर ब्रिटेन के निर्माण में झोंक दिया. उन्होंने देशवासियों से अपील की कि वे वैज्ञानिक तरीक़े अपनाएं, इंडस्ट्रियल डिज़ाइन, प्लानिंग, शिक्षा और ट्रेनिंग के नए विचारों को अपनाएं.
ये हेरल्ड विलसन के ‘तकनीकी क्रांति के व्हाइट हीट’ की बात से एक दशक पहले हो रहा था. फ़िलिप अपने भाषणों और इंटरव्यू में देश में आधुनिकता लाने की बात कर रहे थे. और फिर जब उनका देश और यह पूरी दुनिया अमीर होते गए और पहले से ज़्यादा उपभोग करने लगे. ऐसे में उन्होंने पर्यावरण पर पड़ने वाले इसके असर के बारे में लोगों को आगाह किया. यह वह दौर था जब पर्यावरण का मुद्दा बस फ़ैशन में आया ही था.