बेटी ने 10 साल पहले छोड़ा घर, मां को अब भी थी लौटने की उम्मीद; मारी गई इनामी नक्सली रामे की कहानी…

बालाघाट में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में तीन खूंखार नक्सली मारे गये थे। इनमें एक महिला नक्सली रामे भी शामिल थी। रामे के परिजन अपनी बेटी का शव लेने बालाघाट पहुंचे थे। 5 लाख की इनामी नक्सली को सुरक्षा बलों ने बहेला में ढेर किया था। रामे के साथ उसके दो साथी जोनल कमांडर नागेश और एरिया कमांडर मनोज को भी एनकाउंटर में मार गिराया गया था।

मां को थी बेटी के लौटने की उम्मीद

एनकाउंटर में मारी गई रामे छत्तीसगढ़ के सुकमा की रहने वाली थी। रामे की मां को उम्मीद था कि उसकी बेटी एक ना एक दिन जरूर मुख्यधारा में लौटेगी और घर वापस आएगी। लेकिन जब रामे की मां लक्ष्क्षो पूने मुरिया को बेटी के मारे जाने की खबर मिली तो अब वो उसकी लाश लेने के लिए यहां पहुंचीं। महिला नक्सली रामे पूने की मां लक्ष्क्षो पूने मुरिया अपने रिश्तेदारों के साथ जिला अस्पताल पहुंची और एसपी समीर सौरभ की मौजूदगी में कागजी कार्रवाई को पूर्ण कर शव लिया।

10 साल पहले छोड़ा घर

जानकारी के मुताबिक, रामे ने पढ़ाई-लिखाई नहीं की थी। साल 2012 में उसने घर छोड़ दिया था और नक्सली बनने की राह पर चल पड़ी थी। रामे के पिता आयतु मुरिया की करीब पांच साल पहले किसी बीमारी की वजह से मौत हो गई थी। रामे अपने पिता के अंतिम संस्कार में भी नहीं आई थी। रामे का एक भाई भी है जो मां के साथ गांव में ही खेती करता है।

रामे का पति भी नक्सली

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रामे का पति मंगेश भी नक्सलियों का एरिया कमांडर था। साल 2019 में लांजी के पास पुजारी टोला में हुए एक एनकाउंटर में मंगेश मारा गया था। इस एनकाउंटर से एक साल पहले ही रामे ने मंगेश से शादी रचाई थी। बताया जाता है कि रामे एक नाट्य कलाकार थी और नाटक के जरिए आदिवासियों को सरकार के अत्याचार के बारे में बताती थी।

पति की मौत के बाद रामे एक खूंखार नक्सली बन गई। पुलिस के मुताबिक, वो कई बड़ी वारदातों में शामिल रही। जिसके बाद मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की पुलिस उसे तलाश रही थी।

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