बसवराज बोम्मई होंगे कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री, आज 11 बजे लेंगे शपथ

भाजपा नेतृत्व ने कर्नाटक के अपने सबसे मजबूत नेता मौजूदा कार्यवाहक मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा का उत्तराधिकारी बसवराज बोम्मई को चुना है। बोम्मई भी येदियुरप्पा के ही लिंगायत समुदाय से आते हैं, जो राज्य का सबसे प्रभावी समुदाय माना जाता है। नए मुख्यमंत्री आज यानी बुधवार को सुबह 11 बजे शपथ लेंगे। सूत्रों के अनुसार येदियुरप्पा के बेटे प्रदेश उपाध्यक्ष वी वाय विजयेंद्र को भी पार्टी अहम भूमिका में ला सकती है।

बोम्मई के साथ तीन उपमुख्यमंत्री भी शपथ लेंगे। कर्नाटक में गोविंद कारजोल, आर अशोक और श्रीरामलु उप मुख्यमंत्री बनेंगे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, तीनों नेता बुधवार शपथ ग्रहण करेंगे। बसवराज 2008 में जद (यू) से भाजपा में आए थे और तब से भाजपा की हर सरकार में मंत्री रहे हैं। भाजपा नेतृत्व अपने मजबूत समर्थक माने जाने वाले लिंगायत समुदाय से ही नेता चुनना चाहता था, हालांकि येदियुरप्पा इस मत के नहीं माने जा रहे थे। बता दें कि बसवराज कर्नाटक के 23वें मुख्यमंत्री बनेंगे।

बसवराज बोम्मई ने कहा, ‘मैंने राज्यपाल को विधायक दल के नेता के रूप में अपने चुनाव के बारे में सूचित कर दिया है। उन्होंने मुझे सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया है। हमने चर्चा की है और फैसला किया है कि मैं 11 बजे शपथ लूंगा।’ राज्यपाल कार्यालय के अनुसार शपथ ग्रहण समारोह राजभवन के ग्लास हाउस में होगा। बोम्मई (61) ने यह भी कहा कि वह बुधवार को अकेले शपथ लेंगे।

भाजपा नेतृत्व ने बसवराज बोम्मई का नाम लेकर ही प्रभारी महासचिव अरुण सिंह व दोनों पर्यवेक्षकों केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान व जी किशन रेड्डी को बेंगलुरु भेजा था। इन नेताओं ने बसवराज के नाम पर सहमति बनाई। सूत्रों के अनुसार, येदियुरप्पा भी बसवराज के खिलाफ नहीं थे। हालांकि वह लिंगायत समुदाय पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए किसी और लिंगायत को मुख्यमंत्री बनाने के पक्ष में ज्यादा नहीं थे, बल्कि वोक्लालिगा और अन्य समुदाय के पक्ष में रहे। हालांकि, केंद्रीय नेतृत्व लिंगायत को ही आगे लाना चाहता था।

इधर, भाजपा विधायक दल के नेता के रूप में चुने जाने के तुरंत बाद बोम्मई कार्यवाहक मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के साथ सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए राजभवन गए।  येदियुरप्पा ने सोमवार को अपनी सरकार के दो साल पूरे होने पर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। राज्यपाल ने येदियुरप्पा का इस्तीफा स्वीकार कर लिया था और उनकी अध्यक्षता वाली मंत्रिपरिषद को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया था, लेकिन उन्हें वैकल्पिक व्यवस्था होने तक मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करना जारी रखने के लिए कहा गया था।

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