
रायगढ़। एक तरफ प्रदेश कांग्रेस विधानसभा चुनाव के बाद दूसरी बार सरकार बनाने की सपना देख रही है वही दूसरी तरफ भाजपा नगर निगम की विपक्षी पार्टी नगर निगम में महापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला रही है और एकजुट होने की बात कर रही है जब की विदित हो की महापौर के चुनाव के समय भारतीय जनता पार्टी की तरफ से गुट बाजी खुलकर सामने आई थी भावी महापौर और सभापति के पक्ष में भाजपा के तरफ से भी वोटिंग किया गया था
लेकिन इस बार नजारा कुछ अलग देखने को मिल रहा है भाजपा कार्यालय में पार्षदों की कई बार मीटिंग के बाद महापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था जिसमें 15 सितंबर को मतदान का प्रक्रिया होनी है अब यहां पर यह सवाल खड़ा होता है कि अचानक भारतीय जनता पार्टी को महापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का सुझाव या दिमाग कहां से आया क्या पुरे मामले में सरकार के कुछ पार्षद जयचंद की भूमिका निभा रहे हैं या ऐसा प्रतीत होता है नगर निगम में विपक्ष की भूमिका निभाने वाली भारतीय जनता पार्टी के नेताओं शहर सरकार के कुछ जयचंदो से आश्वासन मिला है इसलिए भाजपा महापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाई है नहीं तो विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा अपना किरकिरी करना नहीं चाहेगी
अगर गलती से ही सही अगर महापौर के खिलाफ अगर विश्वास प्रस्ताव पारित हो गया मतदान प्रक्रिया पूरी हो गई तो यह हार महापौर की कि नहीं मानी जाएगी अपितु स्थानीय विधायक नगर निगम के शहर सरकार और जिला कांग्रेस कमेटी की हार मानी जाएगी और पूरे शहर में क्या जिले के साथ ही साथ प्रदेश किरकिरी होगी सीधा-सीधा विधानसभा चुनाव में भी असर देखने को मिलेगा
क्या है पूरा मामला ::
विधानसभा चुनाव की गहमा गहमी के बीच विपक्ष ने रायगढ़ नगर निगम के महापौर जानकी काटजू के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था, जिसपर वोटिंग की तारीख सामने आ गई है। इसी महीने के 15 सितम्बर को मतदान होगा। उसको लेकर दोनों ही खेमों में शह और मात का खेल चल रहा हैं। फिलहाल भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता प्रधान मत्री नरेंद्र मोदी तैयारी में जुटे हुए हैं इसके बावजूद एक खेमा नगर निगम में उठा पाठक पर नजर रखा हुआ है
बता दें कि रायगढ़ कलेक्टर ने 15 सितंबर को सुबह 11 बजे निगम का सम्मेलन बुलाया है, जिसमें शहर के 48 वार्ड के पार्षद महापौर जानकी काटजू के पद पर बने रहने का फैसला करेंगे। खबर है की प्रदेश कांग्रेस के तरफ से पूरे मामले में अपनी तरफ से पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिए है। पीसीसी ने प्रमोद दुबे और नंदलाल देवांगन को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। वे दोनों जल्द ही यहाँ पहुंचकर राजनितिक परिस्थितियों पर नज़र रखेंगे।
एक नजर नगर निगम के समीकरण पर….
विदित हो की निगम में कुल 48 वार्ड हैं। जिसमे कांग्रेस के पास 26 और भाजपा के पास 22 पार्षद हैं। भाजपा के पार्षद के निधन होने के बाद अभी सिर्फ 21 पार्षद ही बाकी हैं। अगर कांग्रेसी महापौर के साथ भितरघात जैसी कोई बात नहीं हुई, तो महापौर अपने पद पर बनी रहेंगी। परन्तु यदि क्रास वोटिंग या फिर कुछ पार्षद नदारद रहे तो बाजी पलट जायेगी। शायद यही भांपते हुए पीसीसी ने यहाँ पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर दी हैं।
कुछ जयचंद के चक्कर में महापौर की कुर्सी खतरे में , 15 सितंबर को भाजपा के अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान, प्रदेश कांग्रेस ने नियुक्त किया पर्यवेक्षक….














