रायपुरः छत्तीसगढ़ में अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले 48 घंटे के दौरान धमतरी और रायपुर में हुए तीन अलग-अलग वारदातें ये इशारा कर रही है कि प्रदेश में अपराधियों को अब पुलिस का खौफ नहीं रहा। वो जब चाहे डकैती की घटना को अंजाम देते हैं। सरेआम किसी को गोली मार देते हैं। ऐसे में उस सिस्टम पर सवाल है कि जिस पुलिस पर हर महीने करोड़ों रूपए फूंकती है। आंकड़े गवाही देते हैं कि प्रदेश के दूरदराज इलाकों को छोड़ दीजिए राजधानी रायपुर अपराध का गढ़ बन चुका है। हालांकि पुलिस अब भी बेहतर पुलिसिंग और अपराध नियंत्रण का दावा कर रही है।
राजधानी में अपराधियों के हौसले किस कदर बुलंद है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बीते एक महीने में 1 डकैती, दो बड़ी चोरी की अनसुलझी वारदात और सैकड़ों चाकूबाजी की घटनाएं हो चुकी है। वहीं शातिर बदमाश जब चाहे तब किसी को गोली मार देते हैं। आलम ये है कि अब छुटभैये बदमाशों के पास भी देसी कट्टे जैसे हथियार मौजूद है। बढ़ते अपराध को लेकर अब सियासत भी तेज हो गई है।
कुल मिलाकर तर्क और दावे अपनी जगह है। पर बड़ा सवाल वहीं का वहीं है कि अगर पुलिसिंग में कसावट है, तो अपराधियों में उसका खौफ क्यों नहीं है? NCRB के आंकड़े बताते हैं कि पिछले कुछ सालों में रिकॉर्ड अपराध का ग्राफ बढ़ा है। हत्या, लूटपाट, दुष्कर्म और चाकूबाजी की घटनाओं में तेजी से इजाफा हुआ है। ऐसे में सवाल है कि प्रदेश में बढ़ते अपराध की वजह क्या है? क्या खाकीवाले नींद में है या फिर बेसिक पुलिसिंग की कमी है? अगर वाकई ऐसा है तो पुलिसिंग की व्यवस्था में आमूल-चूल बदलाव करने की जरूरत है, नहीं तो ऐसे ही प्रदेश में जुर्म बेलगाम होता रहेगा।