
जिले में आगामी 1 दिसम्बर से तीन नये केन्द्र सहित 176 उपार्जन केन्द्रों के जरिए धान खरीदी की जायेगी। इस साल राज्य सरकार द्वारा जिले में तीन नये धान खरीदी केन्द्र- मोहदा, सर्वा एवं सकलोर स्वीकृत किये गये हैं। धान बेचने के लिए इस साल 1 लाख 78 हजार से ज्यादा किसानों ने पंजीयन कराया है। पिछले साल की तुलना में इस साल 12 हजार 715 ज्यादा किसानों का पंजीयन किया गया है। समिति कर्मचारियों की हड़ताल से वापसी के बाद उपार्जन केन्द्रों की संपूर्ण तैयारी 26 नवम्बर तक पूर्ण करके रिपोर्ट प्रस्तुत करने कहा गया है। पतला धान का समर्थन मूल्य 1960 रूपये प्रति क्विंटल तथा सरना एवं मोटे धान का समर्थन मूल्य 1940 रूपये निर्धारित किया गया है। प्रति एकड़ 15 क्विंटल धान की खरीदी पूर्व की भांति की जायेगी। बारदानों को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है, लेकिन कलेक्टर ने कहा कि किसान अपने स्वयं के बारदानों का उपयोग सकते हैं। कुल क्षमता के 30 प्रतिशत बारदानों का उपयोग किसानों द्वारा किया जा सकता है। जिले में धान खरीदी के संबंध में 16 केन्द्र अतिसंवेदनशील एवं 47 केन्द्र संवेदनशील के रूप में चिन्हित किये गये हैं। अति संवेदनशील केन्द्रों पर पिछले साल काम कर चुके कर्मचारियों को पूरी तरह बदल दिया जायेगा। इन केन्द्रों पर निगरानी के लिए कलेक्टर प्रतिनिधि के तौर पर वरिष्ठ अधिकारी तैनात किये गये हैं। अवैध परिवहन रोकने के लिए जिले में 12 चेकपोस्ट बनाये गये हैं। आज से इन पोस्टों पर कर्मचारी एवं पुलिस की तैनाती कर जांच शुरू कर दी जायेगी। संभावित दलालों और कोचियों की सूची तैयार की जा रही है। इनकी गतिविधियों की प्रशासन सख्त नजर रखेगी। कलेक्टर ने कहा कि औसत अच्छी गुणवत्ता (एफएक्यू) के धान ही खरीदे जाएंगे। इस पर कोई समझौता नहीं किया जायेगा। एफएक्यू अनुसार धान में 17 प्रतिशत से अधिक नमी नहीं होने चाहिए। मिश्रण अधिकतम 6 प्रतिशत, डैमेज/डिस्कलर 5 प्रतिशत, अधपका एवं सिकुड़ा दाना 3 प्रतिशत एवं एक प्रतिशत फॉरेन मटेरियल से ज्यादा नहीं होने चाहिए।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि किसानों के लिए जितने नियम बताए जा रहे हैं, वे इन लापरवाह अधिकारियों पर क्यों लागू नहीं होते? अधिकारी की मनमानी पर कलेक्टर जवाब क्यों नहीं देते हैं? आखिर में किसके संरक्षण में नियम कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है? भाटापारा के हतबंध से लगे रिंगनी धान संग्रहण केंद्र में बारदानों के रख-रखाव में कैसी लापरवाही बरती गई है, इस समय कोई वहां जाकर देख सकता है। बलौदाबाजार भाटापारा जिले के सिमगा स्थित रिंगनी धान संग्रहण केंद्र में अधिकारियों की मिलीभगत और जिला विपणन अधिकारी की लापरवाही से धान संग्रहण केंद्र प्रभारी की मनमानी के चलते करोड़ों का धान अमानक हो रहा है। रिंगनी धान संग्रहण केंद्र में धान को सुरक्षित रखरखाव के लिए लाखों रूपए खर्च किए जा रहे हैं, फिर भी धान सुरक्षित नहीं है। इसका मुख्य कारण धान संग्रहण केंद्र प्रभारी की मनमानी है। प्रभारी अपनी मर्जी के चलते शासन के नियमों को ताक पर रखकर कार्य कर रहे हैं, जिसके कारण संग्रहण केंद्र में अधूरे-अधूरे स्ट्रेक फैले हुए हैं। केप कवर होने के बाद भी धान खुले में रखा हुआ है, जबकि छत्तीसगढ़ राज्य विपणन संघ का स्पष्ट नियम है कि ‘जो पहले आएगा वह पहले जाएगा’ नियम का पालन करते हुए रखरखाव की सुविधा किसानों को उपलब्ध कराना है। मिलरों को कस्टम मिलिंग के लिए धान प्रदान करते समय स्ट्रेक से नंबर के अनुसार धान प्रदान करना है। स्ट्रेक में रखे धान के बोरे में परखी बंबू मारकर छंटनी नहीं करनी है। खुला स्ट्रेक का धान पूरा उठने के बाद ही दूसरे स्ट्रेक का धान प्रदान करना है। शासन द्वारा निर्धारित नियमों को दरकिनार कर प्रभारी अपनी नियमों के अनुसार धान का उठाव करवा रहे हैं, जिसके कारण लाखों बोरा धान का नुकसान हो रहा है। साथ ही कई स्ट्रेक धान अमानक होने की स्थिति में है। केवल व्यापारियों को लाभ पहुंचाने के लिए धान संग्रहण केंद्र के प्रभारी चंद रुपयों के लालच में करोड़ों रुपए के धान को बर्बाद करने में लगे हुए हैं। ‘सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का’ की तर्ज पर हतबन्द का धान संग्रहण केंद्र संचालित हो रहा है। जिला विपणन अधिकारी आज तक संग्रहण केंद्र में निरीक्षण के लिए नहीं गए हैं और ना ही जिले के कलेक्टर गए हैं। अगर समय-समय पर निरीक्षण होता धान की बड़ी मात्रा को खराब होने जा बचाया जा सकता था।