
प्रमोशन में आरक्षण पर आ गया सुप्रीम कोर्ट का फैसला, अब राज्यों के पाले में गेंद
सुप्रीम कोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे पर अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट के फैसले के बाद अब गेंद राज्यों को पाले में चला गया है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि राज्य सरकारों को अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण देने से पहले इससे संबंधित डेटा एकत्र करना चाहिए। कोर्ट ने आगे कहा कि संविधान पीठ के फैसलों के बाद नया पैमाना नहीं बनाया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट आज लंबे समय से लंबित सरकारी नौकरी में प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे पर आज अपना फैसला सुना दिया है। सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) को प्रमोशन में आरक्षण देने के मुद्दे पर सुनवाई पूरी हो चुकी थी। जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने इस मामले पर अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल, अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल बलबीर सिंह और विभिन्न राज्यों की ओर से पेश हुए अन्य वरिष्ठ वकीलों सहित सभी पक्षों को सुना था।
केंद्र सरकार ने पीठ से कहा था कि यह सत्य है कि देश की आजादी के 75 साल बाद भी एससी-एसटी समुदाय के लोगों को अगड़े वर्गों के समान मेधा के स्तर पर नहीं लाया गया है। पीठ ने इस मामले पर सुनवाई पूरी करते हुए 26 अक्टूबर 2021 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।