
देशभर के पत्रकारों को होना होगा संगठित=शाहनवाज हसन
दिनेश दुबे 9425523689
आप की आवाज
एडमिन डेस्क ….
पत्रकारों की दशा आज देश भर में किसी से छुपी हुई नहीं है।पत्रकारों के हर कदम पर उनके विरुद्ध कहीं सरकार तो कहीं माफियाओं द्वारा लगातार प्रहार किया जारहा है।सरकार की कमियों को उजागर करने पर समूचा तंत्र उस पत्रकार के विरुद्ध षड्यंत्र रच उसे जेल भेजवाने में लग जाता है।सबसे दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि हमारे बीच के ही कुछ पत्रकार विभीषण की भूमिका में होते हैं,जो संकट के समय अपने पत्रकार साथी के विरुद्ध विरोधियों के साथ खड़े हो जाते हैं।
मित्रों झारखण्ड ही नहीं *देश भर* के पत्रकारों को संगठित करने की जिस *मुहिम* की शुरुआत *झारखण्ड जर्नलिस्ट एसोसिएशन* ने की थी वह कारवां अब लगभग एक दशक के उपरांत देश भर में बहुत मज़बूती के साथ आगे बढ़ रहा है।हमारी राष्ट्रीय इकाई *भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ(BSPS)* अब देश भर के *19 राज्यों* में स्थापित हो चुकी है।राजधानी दिल्ली और NCR में संगठन के साथ बड़ी संख्या में पत्रकार साथी जुड़ रहे हैं। हमारी यूनियन के सदस्य प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, नोएडा प्रेस क्लब, उत्तराखंड प्रेस क्लब सहित देश भर के विभिन्न राज्यों में स्थापित प्रेस क्लब के पदाधिकारी हैं।
मित्रों अबतक देश भर के लगभग एक दर्जन पत्रकार संगठनों का विलय *BSPS* में हुआ है।दक्षिण भारत के पत्रकार साथियों ने उन *मठाधीश संगठनों* को अब अलविदा कह दिया है जो पत्रकारों से संगठन के नाम पर केवल वसूली करते आये थे।दक्षिण भारत के सभी स्थापित संगठन अब *BSPS* से जुड़ गए हैं।मध्य भारत में छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में हम मज़बूती के साथ आगे बढ़ रहे हैं।उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड के सभी जनपदों में *29,000* पत्रकारों को जोड़ने के लक्ष्य की ओर हम तेज़ी से बढ़ रहे हैं।
मित्रों *अकेला* व्यक्ति *शक्तिहीन* है, जबकि *संगठित* होने पर उसमें शक्ति आ जाती है। संगठन की शक्ति से मनुष्य बड़े-बड़े कार्य भी आसानी से कर सकता है। संगठन में ही मनुष्य की सभी समस्याओं का हल है। जो परिवार और समाज संगठित होता है वहां हमेशा खुशियां और शांति बनी रहती है,संगठित परिवार का कोई भी दुश्मन कुछ नहीं बिगाड़ सकता, जबकि असंगठित होने पर दुश्मन जब चाहे आप पर हावी हो सकता है। संगठन का प्रत्येक क्षेत्र में विशेष महत्व होता है, जबकि बिखराव किसी भी क्षेत्र में अच्छा नहीं होता है। संगठन का मार्ग ही मनुष्य की विजय का मार्ग है। यदि मनुष्य किसी गलत उद्देश्य के लिए संगठित हो रहा है तो ऐसा संगठन अभिशाप है, जबकि किसी अच्छे कार्य के लिए संगठन वरदान साबित होता है। प्रत्येक धर्म ग्रंथ संगठन और एकता का संदेश देते हैं।मनुष्य जब एकमत होकर कार्य करता है तो संपन्नता और प्रगति को प्राप्त करता है। संगठन में *प्रत्येक व्यक्ति* का विशेष महत्व होता है इसलिए जब मनुष्य संगठित होकर कोई कार्य करता है तो उसके परिणाम में विविधता देखने को मिलती है। जिस तरह प्रत्येक फूल अपनी-अपनी विशेषता और विविधता से किसी बगीचे को सुंदर व आकर्षित बना देते हैं उसी तरह मनुष्य भी अपनी-अपनी विशेषता और योग्यता से किसी भी कार्य को नया आयाम प्रदान कर सकते हैं।
मित्रों हम पत्रकार हैं हमसे लोगों की उम्मीदें जुड़ी हुई हैं,हम वंचितों और मज़लूमों की आवाज़ उठाते हैं।हम न्याय के रास्ते पर चलने वाले लोग हैं, हमें लोकतंत्र का *चौथा स्तंभ* कहा जाता है,उसके बावजूद हमें आज़ादी के 75 वर्षों के बाद भी संविधानिक संरक्षण नहीं प्राप्त हुआ है।आज भी पत्रकारों पर झूठे मुकदमे, हमले एवं हत्याएं हो रही हैं।हम उन्हें न्याय दिलाने के लिए सड़कों पर एक दिन उतरते हैं और फिर उन पत्रकारों के परिजनों की पलट कर कोई खबर नहीं लेते जिन्होंने पत्रकारिता की गरिमा और सत्य की राह पर चलते हुए अपनी जान गंवाई है।
साथियों हम मिलकर चलेंगे तो वे सब हमें मिलेंगे जो हमारा अधिकार है।हमारे बीच मतभेद भी होंगे,परन्तु उस मतभेद को हम मनभेद बनने नहीं देंगे।क्योंकि यह लड़ाई पत्रकारों को न्याय दिलाने की है। सभी साथी यह संकल्प लें हम संगठित होकर इस संघर्ष को मज़बूती प्रदान करेंगे।
*पत्रकार एकता ज़िंदाबाद*
*शाहनवाज़ हसन*
संस्थापक, झारखंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन
राष्ट्रीय महासचिव, भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ