
नववर्ष के उपलक्ष्य में जयगुरुदेव संगत द्वारा कसडोल, सराईडिपा में भव्य सतसंग आयोजित किया.
*नववर्ष के उपलक्ष्य में जयगुरुदेव संगत द्वारा कसडोल, सराईडिपा में भव्य सतसंग आयोजित किया…*
अशोक सारथी,आपकी आवाज न्यूज धौंराभांठा:- जिले तमनार ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत कसडोल के सराईडिपा बीच बस्ती में भव्य जयगुरुदेव सतसंग आयोजित किया गया, जिसमें विश्वविख्यात परम् संत बाबा जयगुरुदेवजी महाराज के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी उज्जैन वाले संत बाबा उमाकांतजी महाराज के आदेशानुसार जयगुरुदेव संगत राजनंदगांव से पधारे प्रवक्ता लालचंद साहू के सुमधुर वाणी से गुरु के नवीनतम आदेश एवं सतसंग वचनों को सतसंग के रूप में विस्तार से सुनाया गया। प्रवक्ता लालचंद गुरु भाई ने बाबा उमाकांत महाराज के सतसंग वचनों को दोहरा कर
संदेश में बताया कि गुरु जब नामदान देते हैं, उस वक्त पर सुरत की डोर को काल के हाथ से अपने हाथ में ले लेते हैं। और अपने स्थान- गुरु पद पर ले जाकर के बांध देते हैं। ऐसे तो सतलोक में कोई पहुंच जाए तो नीचे उतरना ही नहीं चाहता है। सतलोक जाने वाले बहुत से लोग चले जाते हैं लेकिन जिनको सतपुरूष यह काम सौपते हैं, जीवों के कल्याण उद्धार का, वह सतलोक पहुंचने के बाद नीचे आते हैं। अपने जीवों के लिए आते हैं। जैसे बहुत से मास्टर साहब दूसरी जगह तबादले के बाद भी अपने पढाये बच्चों से प्रेम वश वहां भी अपने घर पर बुलाकर के पढ़ाते हैं की यह काबिल हो जाए, निकल जाए, पास हो जाए, ऐसे ही प्रेम हो जाता है। और जो उनको याद करता है, बराबर उनकी मदद करते हैं। जिनको अपना काम सौप कर जाते हैं, दुनियादारी का छोटा-मोटा काम, यह तो सब उनके द्वारा करवा देते हैं, उनसे मदद करवा करके दया करके उनके द्वारा करवा देते हैं। लेकिन जीवात्मा के कल्याण का काम खुद अपने हाथ में रखते हैं। इसलिए समय निकल जाएगा। कहा गया है- धोबिया वह मर जाएगा, चादर लीजिए धोये, चादर लीजिए धोये, भयी वो बहुत पुरानी, चल सतगुरु के घाट, बहे जहाँ निर्मल पानी। तो सतगुरु द्वारा सतसंग रूपी निर्मल पानी बह रहा है, अपने गंदे कर्मों को इसमें धो लो। आपको बराबर चेताया बताया जा रहा है कि अच्छे कर्म करो। आपके बुरे कर्म इकट्ठा न होने पाए, आप दुनिया में ही रहो लेकिन इंद्रियों का भोग करते हुए फंसो नहीं। इस समय धरती पर एक ही पूरे संत बाबा उमाकांतजी महाराज हैं जो जीवों को जितेजी इस मनुष्य शरीर में परमात्मा से मिलने की रास्ता यानी नामदान पूरे विश्व जगह-जगह आध्यात्मिक सतसंग के माध्यम से दे रहे हैं। एक समय पर धरती के अंदर एक ही पूरे संत होते हैं, एक जाते हैं तो एक आते हैं संत शरीर में रहते-रहते अपना जानसीन यानी उत्तराधिकारी घोषित करके, बता कर जाते हैं, परम् संत बाबा जयगुरुदेवजी महाराज ने भी 2012 में उन्नाव जिला उत्तरप्रदेश में सतसंग के दौरान वक्त के महापुरुष बाबा उमाकांत महाराज को मंच में बुलाकर अपना उत्तराधिकारी घोषित करते हुए कहा कि इनको सभी गुरु प्रेमी देखलो पहचान लो ये हैं उमाकांत महाराज ये नये को नामदान देंगे और पुरानों की करेंगे सम्हाल, बाबा जयगुरुदेवजी महाराज के शरीर छोड़ने बाबा से ही बाबा उमाकांत महाराज ने उज्जैन में आश्रम बना कर नये को नामदान और पुरानों की सम्हाल कर रहे हैं।समय-समय पर देश में ही नहीं बल्कि अन्य विदेशों में भी जा कर सतसंग सुनाकर नामदान दे रहे हैं, साथ ही साथ शाकाहारी, नशामुक्ति एवं जयगुरुदेव नाम की प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। संत महात्मा त्रिकालदर्शी होते हैं, भूत,भविष्य, वर्तमान के जानकार होते, वो जानते हैं कि आगे समय कैसा होगा, वे अपने आध्यात्मिक शक्ति से आगे समय को देखकर बता रहे हैं कि आगे समय भयंकर महामारी, बिमारियों से भरा पड़ा है, आदमी की आचार विचार रहन सहन कुकर्मों से देवी-देवता, जलदेवता, वायुदेवता, अग्नि देवता सक्त नाराज हैं अपनी धरती माता की आंचल को आदमियों पापाचार की गंदगी को धोना चाहते हैं, ये कोरोना क्या है ये किसी को मालूम नहीं ये सभी कुदरती कहर, कोरोना तो ट्रेलर है फिक्चर तो अभी आना बाकी है, इसलिए समय के रहते-रहते लोगों को बचा लो, सभी को शाकाहारी, नशामुक्त, सदाचारी बनाने की आवश्यकता है नहीं तो कुदरत अपना काम करेगा बाद में पछताना पड़ता है। तजो नशा बनो ब्रम्हचारी,, सतयुग लाने की करो तैयारी। सुनो सुनो ऐ मेरे भाई अपना स्वार्थ नहीं है कोई, शाकाहारी बना रहे हैं, नर्कों से बचा रहे हैं।। बाबा जीकी अर्जी है आगे आपकी मर्जी है।।
सतसंग कार्यक्रम में जयगुरुदेव संगत रायगढ़ जिले के सैकड़ों गांवों से हजारों की संख्या में जयगुरुदेव के प्रेमी सराईडिपा सतसंग में पहुंचे थे, गांव एवं आसपास के गांव से गैरनामदानी ईच्छुक शाकाहारी लोग भी उपस्थित हुए थे, उपस्थित सभी को जयगुरुदेव उज्जैन वाले बाबा उमाकांत महाराज की दया रूपी भंडारा प्रसाद खिलाया गया।

